राखी

डॉ मधु त्रिवेदी
डॉ मधु त्रिवेदी
तिलक प्यार का जो
माथे पर सजा है
राखी जो हाथ में
तेरे भाई
मुझे हमेशा पास
तेरे बना रखेगा
बचपन की जो भोली
सी हरकतें है
याद उनकी
हमेशा बना रखेगा

आज नहीं हो पास
भाई तुम मेरे
पर याद मुझे है
आज भी तुम्हारा
प्यार भरा स्नेह
जो दुलार देता मुझे
पिता सा आज
हो तुम सात समुन्दर पार
पर मेरी स्मृतियों में
मेरे पास हो

स्नेह की यह भेट
पंक्तियों तुमको
निवेदित करती हूँ
है भाई मेरी झोली मे
प्यार का जो सागर
तुझ पे उडेलती हूँ
तुम जहाँ भी रहो बस
आवाद ही रहना
हर पल दुआ
तुझको देती हूँ

– डॉ मधु त्रिवेदी
प्रिंसिपल,डिग्री कॉलेज
आगरा (उत्तर प्रदेश)

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