“यही है सच्चा इश्क़ ,सच्ची मोहब्बत”

रश्मि जैन
रश्मि जैन
सिर्फ किसी को पा लेना ही सच्चा प्रेम नही होता,
किसी का अहसास भर उसके सानिध्य को हर वक़्त लालायित रहना ही सच्चा प्रेम है
आत्मा से आत्मा का मिलन ही तो रूहानी इश्क़ कहलाता है
जहा जिस्मानी आकर्षण स्वयं तुच्छ हो जाता है
सिर्फ एक दूसरे के बारे में सोचना ,
सोच सोच कर एक दूसरे को महसूस करना
और असीम सुखानुभूति करना ही जीवन का मकसद बन जाता है
दूर होते हुए भी अपने प्रेमी की तकलीफ का अहसास करना
उसके लिए कुछ भी कर जाने की
जिद्द से झलकने लगता है उसका दीवानापन
उसके लिए दिन रात दुआ माँगना
अपरोक्ष रूप से
उसके प्रत्येक दुःख सुख में
खुद को शामिल पाना,
यही तो है सच्चे प्रेम की सुखानुभूति
जब मै हम में तब्दील हो जाता है
एक की तकलीफ में दूसरे को कष्ट का अनुभव होना ही तो रूहानी प्रेंम कहलाता है
फिर जिस्मानी प्रेम की इच्छा कहा रह जाती है
“यही है सच्चा इश्क़ ,सच्ची मोहब्बत”
– रश्मि डी जैन
महासचिव, आगमन साहित्यक संस्थान
नयी दिल्ली

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