न बिल्ली तकना छोडे, न भैँस चबाना छोडे

n chauhanअपने एक केन्द्रीय मँत्री हैं ,डा महेश शरमा।अन्गे्जो औऱ मुगलो के पहनावे औऱ खाने पीने का ध्यान रखने का महकमा उन्हें ,सौपा गया है।खुराफात भी तो ईन्सानी फितरत मे शामिल है। अपने आडे तिरछे बयानों से सरकार औऱ पाटी को विवादों मे बनाए रखने वाले डा. साहेब ने कुछ दिन पहले एक गुगली औऱ डाल दी। उन्होंने सोचा जब सदा वत्सले आर एस एस ने अपने शोर्टस मतलब हाफ पेन्ट्स त्याग दिए तो दूसरों को भी क्यों पहनने दिया जा ए।सन्सकृति मन्त्री जी ने विदेशी बालाऔ को सलाह दे डाली कि भारत पधारे तो बराए मेहरबानी स्क्ररट न पहने। हलला मचा तो सफाई आई कि महिलाओं की से फ्टी के लिए जुबान फिसल गईथी।। बयान बहादुर तो कान्गर्रेस मे भी कम नही हैं। राहुल बाबा लेकिन अपने भिवन्डी वाले बयान पर डटे रहे।कहा पल्टी नही मारूगा।गान्धी जी को गोली आर एस एस वालो नै ही मारी थी। बेचारे कपिल सिब्बल बाल हठ के मारे क्या करते ,कहा मानहानि का डटकर केस लडेगे।अब अपने दिमाग को बाबा रामदेव का पतँजली घी पिलाने के बाद सोचो अदालतों मैं करोड़ों केस क्यो पेन
डिँग पडे हैं।एक अरजी औऱ सालो की अदालती मगजमारी खत्म।पर ईगो भी तो एक पोलिटीकल खुजली है।

नरेन्द्र चौहान

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