सिर्फ तुम्हारा…

रश्मि जैन
रश्मि जैन
चले जाने से किसी के..
रुकती नही ये दुनिया
चलती रहती है अबाध रूप से
यूँही घूमता रहेगा समय का पहिया
मेरे रहने या न रहने से
किसी को शायद फर्क न भी पड़े
पर तुम मुझे भुला न सकोगे कभी
करते हो न उतना ही प्यार
जितना करते थे पहले
सिर्फ तुम्ही से तो है मेरी दुनिया
मेरे ख्वाबो में आते रहो तुम हमेशा
ये हक सिर्फ तुम्हारा ही तो है
मेरे सपनों की दुनिया के शहंशाह
तुमसे दूर हूँ मै तो क्या
सोचती हूँ मै हर पल सिर्फ तुम्हे
देखती हूँ ख्वाबो में सिर्फ तुम्हे
सजाया है अपने सपनो में
इसके लिए बस चाहती हूँ
सो जाना एक लंबी..गहरी नींद में
जो कभी न खुले और तुम आते रहो
हमेशा मेरे सपनों में
बसा लूँ तुम्हें अपनी बंद पलको में
हमेशा हमेशा के लिए
बना लूँ तुम्हे अपना सदा के लिए
भले ही ख्वाबो में..मेरे राजकुमार
मुझ पर है तुम्हारा ही अधिकार
सिर्फ तुम्हारा…

रश्मि डी जैन
महासचिव, आगमन साहित्यक संस्थान
नई दिल्ली

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