समस्याओं के देश में नसरेंद्र भाई मोदी नाम भी एक समस्या है

sohanpal singh
sohanpal singh
भारत जोकी जनतांत्रिक देश है जहा एक संविधान है जिसके द्वारा जनता के चुने हुए प्रतिनिधि स्वयं अपना शासन चलाते है पिछले 68 वर्षों से इसी प्रक्रिया से शासन सुचारू रूप में चल रहा था । जहां दुनिया के कई विकसित देश बेरोजगारी , मंदी , और भ्रष्टाचार की चपेट में आकर अपना आकर विचार भी संकुचित कर चुके है वाही भारत ने उस समय बहुत सी उपलब्धिया अपने नाम की और तन कर खड़ा रहा जो लोकतंत्र की सफलता का एक बहुत बड़ा योगदान कहा जायेगा , लेकिन कुछ कतिपय त्रुटियों के कारण सबसे समृद्ध और पुरानी पार्टी को सत्ता से अलग होना पड़ा ? लेकिन अब जब से दक्षिण पंथी पार्टी का शासन हुआ है लगता ऐसा ही है की वर्तमान नेतृत्व देश को दुनिया के सबसे समृद्ध राष्ट्र बनाना चाहता हऐ उसके लिए कुछ भी नैतिक अनैतिक नहीं है , केवल विपक्षी को पटखनी देना ही इक मकसद है ?

अगर हम बात करे वर्तमान नोट बंदी की तो अब तक 36 दिन में 36 से अधिक आदेश केवल इस लिए जारी किये गए की काले धन को पकड़ना है? लेकिन जिस तरह से नए और पुराने नोट लाखो करोड़ों की संख्या में पकडे जा रहे है तो ये सब आदेश हवा में हवा हवाई हो चुके हैं ! लेकिन एक सअबसे बड़ा सवाल जो है वह ये है कि ये सब कवायद केवल और केवल काले धन को पकडने के लिए ही की जा रही हऐ तो फिर फिर काले धन वालों को राहत देने कअ क्या कारण है !
नरेंद्र मोदी ने 2013 और 2014 में अपनी चुनावी घोषणाओं में अपना 56 इंच का सीना ठोक ठोक कर जनता को यह आश्वसन दिया था की अगर वह प्रधानमंत्री बने तो 100 दिन विदेशों में जमा काला धन वापस लाएंगे और सभी गरीबो का खाते में 15 15 लाख रूपये दाल देंगे ? दो वर्ष सरकार चलाने में जब उनको समझ आया कि यह सब नहीं हो सकता तो पलटी मार दी यहाँ तक की जिन लोगो का विदेशों पैसा जमा है उनका नाम बताने से भी इनकार कर दिया ?
सरकार ने पहले तो काले धन वालों रहत तब दी जब नाम नहीं बताये ?फिर काले धन वालों के लिए मार्च 2016 से जून 2016 तक एक स्कीम लाइ जिसमे 60 प्रतिशत टेक्स लगाना था इस स्कीम 4000 करोड़ रुपया अआया ? इसके बाद एक फेयर एंड लवली स्कीम लांच की गई जिसमे 45 प्रतिशत टेक्स लगाने की गधोषणा हुई इसमें67000 करोड़ कई घोषणा तो हुई लेकिन इस स्कीम में कई झोल थे जिस कारण से 6860 करोड़ की घोषणा करने वाला महेश शाह गुजराति विवादों में घिर गया और उधर मुम्बई कइ एक घोषणा कर्ता जिसने 2 लाख करोड़ की घोषणा की थी वह भी भाग गया यह दोनों डिक्लेरेशन सरकार ने निरस्त कर दिए है ? अब सरकार नइ एक और नई घोषणा की है एक स्कीम की फिफ्टी फिफ्टी यानि काले धन की घोषणा करो 50 प्रतिशत कर दो और 25 प्रतिशत 4 वर्ष के लिए बिना ब्याज बबांड में जमा होंगे और 25 प्रतिशत वापस ले जाओं सफ़ेद बना कर ?
हम यअः समझने मइ मजबूर हैं की सरकार को काले धन वालों से इतनी सहानुभूति क्यों है ? जब सरकार द्वारांकि गई बनोट बंदी के साथ पुरे देश कई जनता खड़ी हुई है सरकार का समर्थन भी कर रही है सारे कष्ठ सह कर भी कोई अआंदोलन नहीं कर रही है तो सरकार की क्या मज़बूरी है की काले धन वालों को एक और राहत क्यों ? जब की अब नोट बंदी के कारण 31 मार्च के बाद काले धन वाले स्वयं अपनी काले धन को जलाने के अतिरिक्त कोई उपयोग नहीं कर पाएंगे ?

शायद यह घोषणा सरकार ने इस लिए की है की सरकार नोट बंदी से सफलता के बजाय विफलता की ओर अग्रसर है बैंको की नोट वितरण व्यवस्था सही नहींहै या नोट बंदी कोई विकल्प ही नहीं है क्योंलि सरकार के हाँथ पाँव इस लिए भी फुले हुए है की कहीं सर्कुलेशन से अधिक नोट न जमा हो जाएँ तब क्या होगा ? अर्थ व्यस्था की क्या हालात होगी मोदी के अर्थ शास्त्र का क्या होगा ? इस लिए हमें तो लगता है की समस्या देश में नहीं है अकेले मोदी जी ही इस देश के लिए एक समस्या से कम भी नहीं है ? उसका कारण भी शायद वह स्वयं ही है ? जो हालात देश में नोट बंदी के कारण हुई है उसके दूरगामी दुखद परिणाम भी 31 मार्च 2017 के बाद स्वयं ही दिख जायेंगे ?

एस पी सिंह, मेरठ ।

error: Content is protected !!