ऐसा संबोधन हो राष्ट्र के नाम तो…

प्रताप सनकत
प्रताप सनकत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 दिसंबर की शाम यानि नए साल की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करने जा रहे हैं। बहस चल पड़ी है कि वे क्या कहेंगे। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि वे कई बड़े ऐलान करेंगे, कई घोषणाएं करेंगे। व्यंग्यकार क्या सोचता है? मोदी अपनी आमसभाओं में श्रोताओं को सीधे जोड़ने के लिए सवालों पर सवाल दागते रहते हैं। जवाब जनता की ओर से आते हैं। वही जो मोदी चाहते हैं। 31 दिसंबर को ऐसे सवालों का सामना हो तो क्या जवाब मिलेंगे। अनुमान लगाते रहिए।
बहनों और भाईयों। 8 नवंबर के बाद आपसे मुखातिब होने का यह मेरा दूसरा मौका है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं…..
नया साल आना चाहिए कि नहीं।
सूरज को पश्चिम से निकलना चाहिए कि नहीं।
पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति खत्म होनी चाहिए कि नहीं।
आसमान में छेद होना चाहिए कि नहीं।
कददू की बेल पर अंगूर और आम के पेड़ पर कददू लगना चाहिए कि नहीं।
गुजरात में खूब शराब बिकती है। वहां नशाबंदी बंद होनी चाहिए कि नहीं।
गधे के सिर पर सींग होने चाहिए कि नहीं।
शेर को घास खानी चाहिए कि नहीं।
घोड़े को घास से यारी करनी चाहिए कि नहीं।
जो पैसा आप लोगों ने बैंक में जमा करा दिया वो हमेशा के लिए सरकार का होना चाहिए कि नहीं।
सरदी में गरमी पड़नी चाहिए कि नहीं।
मार्ग दर्शक मंडल में शामिल नेताओं को अब इस दुनियां से चले जाना चाहिए कि नहीं।
मुझे नौ की तेरह करने का स्थायी अधिकार मिलना चाहिए कि नहीं।
सवाल तो और भी हैं। लेकिन समय नहीं है। मैं आज यह ऐलान करता हूं कि नए साल में नए साल में देश की जनता दिन में एक टाइम ही भोजन करेगी। इससे खर्चा आधा हो जाएगा। नोटबंदी से देश की जीडीपी में जो गिरावट होने वाली है इससे रुक सकेगी। भारत माता की जय।

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