क्या भारत मे व्यापार सरलीकरण कभी होगा

विनीत जैन
विनीत जैन
जिस तरह से हमारे देश मे टैक्स प्रणाली है सबसे दूषित प्रणाली कह सकते है हम इसे , हमारे यहाँ यह मान कर चला जाता है कि व्यापारी है तो चोर ही होगा , टैक्स की चोरी करता ही होगा और सही भी है कि टैक्स की चोरी होती ही है परंतु कभी किसी ने समझने की कोशिश की टैक्स चोरी की असल वजह समझने की

असल वजह है टैक्स चोरी की ज्यादा टैक्स होना जब किसी वस्तु पर आप 18 या 28 परसेंट टैक्स लगाएंगे तो चोरी होगी ही होगी क्योंकि जितना ज्यादा टैक्स उतनी ज्यादा चोरी

व्यापारी जानबूझकर चोरी नही करना चाहता परंतु व्यवस्था उससे चोरी करवाती है जब उसका पड़ोसी दुकानदार बिना टैक्स का माल लेकर बेच रहा है तब मजबूरी में उसे भी बिना टैक्स का माल लेकर बेचना ही पड़ेगा अन्यथा वो बैठा ही रह जायेगा और पड़ोसी धड़ाधड़ माल बेचता चला जायेगा , इसी प्रकार एक चैन बनती चली जाती है जिसे बल देते है अधिकारी क्योंकि जब तक टैक्स चोरी नही होगी उन्हें कौन रिश्वत देगा इसीलिए वे भी इसे बढ़ावा देते है ताकि इनकी जेबें भर सके ,

अभी gst लागू किया जा रहा है इसकी जो कार्यप्रणाली है वो इतनी जटिल है कि हरेक व्यापारी को अपने यहाँ एक अकॉउंटेन्ट बिठाना पड़ेगा क्योंकि बिल आते ही उसे ऑनलाइन 10 दिन में चढ़ाना पड़ेगा और बिक्री होते ही उसे भी चढ़ाना पड़ेगा इस सब के लिए भी एक अलग से स्टाफ चाहिए

क्यों नही सरकार इस सब को सरलीकरण कर देती है क्यों इतनी जटिलताएं पैदा की जाती है जिसमे कोई भी जलेबी की तरह घूमता रहे , एक सिंपल बैंक ट्रांसक्शन टैक्स लगाए जिसमे 2 परसेंट हर लेवल पर कटता रहे इससे किसी कोई तकलीफ नही होगी और कैश का काम भी खत्म हो जाएगा या फिर हर पॉइंट पर सिर्फ 2 परसेंट टैक्स लगाया जाए हरेक वस्तु पर तो कोई भी टैक्स देने में परहेज नही करेगा , लक्सरी वस्तुओ पर ज्यादा टैक्स लगाया जा सकता है ओर उससे ज्यादा टैक्स लिया जा सकता है

Gst की जटिलताओं से अभी तो व्यपारियो के हालात खराब है किसी की समझ मे नही आ रहा कि क्या होगा ओर इससे साल भर तक व्यापार में शिथिलता आएगी जिसका असर देश की इकॉनमी पर पड़ना स्वाभाविक है

विनीत जैन
न्यूज़ फ़्लैश
अजमेर संभाग
8107474391
8/6/2017

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