एफडीआई : तो इसलिए हो रहा है इसका विरोध

मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के नुकसान
गुरुवार, 20 अगस्त 2012 को जहां पूरा देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और डीजल की कीमतों को लेकर केंद्रीय सरकार के खिलाफ आन्दोलन कर रहा था, वहीं सरकार ने अपनी हठधर्मिता का परिचय देते हुए मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई की अनुमति देने के फैसले को अमलीजामा पहना दिया। इससे वॉलमार्ट जैसी अन्य दूसरी विदेशी कंपनियों के लिए भारत में स्टोर खोलने का रास्ता साफ हो गया। सरकार ने इसके साथ ही विमानन और प्रसारण क्षेत्र में भी विदेशी निवेश नियमों को और उदार बनाने संबंधी निर्णयों को भी अधिसूचित कर दिया। मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई को लेकर राजनीति और अर्थजगत के लोगों की अपनी राय है। कुछ लोग इसे अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ जोड़ रहे हैं तो कुछ इसके नुकसान पर प्रकाश डालते हुए इसे देश के लिए खतरा बता रहे हैं। देश में इन दिनों सरकार के एक फैसले की वजह से करोड़ों खुदरा व्यापारियों और किसानों की सांस अटकी हुई है। सरकार का खुदरा व्यापार में एफडीआई की मंजूरी देने से व्यापार जगत में भारी उठापटक का दौर शुरू हो गया है। कोई कहता है एफडीआई आम खुदरा व्यापारियों के लिए जोखिम भरा है तो कुछ की राय में एफडीआई से देश को बहुत ज्यादा फायदा होगा। आइए क्रमानुसार एफडीआई के बारे में हर बात जानें और हम एफडीआई और इसके नुकसानों के बारे में जानें:-
क्या है एफडीआई
एफडीआई के नफा-नुकसान को समझने से पहले जरूरी है कि हम यह समझें की एफडीआई होती क्या है? एफडीआई का अर्थ होता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश। किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है, जिसमें उसका पैसा लगता है।
सरकार का एफडीआई पर फैसला
हाल ही में सरकार ने जिन क्षेत्रों में एफडीआई यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी है, उनमें शामिल हैं:-
1. बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसदी एफडीआई
2. घरेलू विमानन कम्पनियों में विदेशी विमानन कम्पनियों की अधिकतम 49 फीसदी एफडीआई को इजाजत दे दी।
3. प्रसारण सेवा उद्योग की विभिन्न गतिविधियों में विदेशी कंपनियों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की अनुमति।
4. बीमा सेवा प्रदाता कम्पनियों में विदेशी कम्पनियों की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत की जा रही है।
5. पेंशन क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दी गई है।
क्या होगा एफडीआई का स्वरूप?
सबसे पहले तो यह जान लेना जरूरी है कि बहुब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई तभी लागू होगा जब राज्य सरकार इसे मंजूर करेगा। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही विदेशी कंपनियों को मल्टी ब्रांड रिटेल स्टोर खोलने की अनुमति मिलेगी। ऐसे स्टोर 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में ही खोले जा सकेंगे और विदेशी कंपनियों को कम से कम 10 करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा।
एफडीआई के नुकसान
आइए अब जानें एफडीआई यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से क्या नुकसान होंगे। इस क्रम में शुरुआत करते हैं कृषि के क्षेत्र से-
कृषि के क्षेत्र में एफडीआई से नुकसान

जो लोग एफडीआई का समर्थन कर रहे हैं उनके अनुसार एफडीआई लागू होने से किसानों को फायदा होगा। उनके अनुसार कंपनियां सीधे किसानों से उत्पाद खरीदेंगी और बिचौलिए खत्म हो जाएंगे। बिचौलिए खत्म होने से किसानों को बहुत ज्यादा फायदा होगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एफडीआई के नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सप्लाई चेन में विदेशी कंपनियों के दबदबे से किसानों को पूरी कीमत मिलने की राह में दुविधा होगी। क्वालिटी चेक और सर्टिफिकेशन के नाम पर उनका जमकर शोषण किया जाएगा।
जिस सप्लाई चेन के बनने की बात सरकार खुद कर रही है, वो काम भी उसी का है, अगर सरकार सप्लाई चेन दुरस्त कर दे तो किसानों को इसका फायदा बिना एफडीआई के ही मिलने लगेगा।
एफडीआई से कैसे बेरोजगारी बढ़ेगी?
सरकार का कहना है कि एफडीआई आने से देश में कई रिटेल शॉप खुलेंगे जो देश में लाखों रोजगार पैदा करेंगे। लेकिन क्या यह रोजगार उन बेरोजगारों का पेट भर पाएगा जो देश के करोड़ों खुदरा व्यापारियों के बेरोजगार होने से होगी भारत में खुदरा व्यापार क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का कृषि के बाद सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां अधिकतर परिवारों की जीविका खुदरा क्षेत्र और छोटे व्यवसाय पर आधारित है, इसलिए यदि इस क्षेत्र में एफडीआई आती है तो काफी लोगों को अपने व्यवसाय से हाथ धोना पड़ सकता है
जानकारों का मानना है कि जिन नौकरियों की बात सरकार कर रही है, वह है सेल्समैन और सेल्सगर्ल की। अगर एफडीआई लागू होता है तो भारत सेल्समैन और सेल्सगर्ल का देश बनकर रह जाएगा।
एफडीआई सीमित कर देता है विकल्प
जब भी कोई विदेशी कंपनी किसी दूसरे देश के खुदरा व्यापार में आती है और वहां अपना दबदबा बनाती है तो वह वहां साधनों का विकल्प बहुत कम कर देती है। अब आप अमेरिका या चीन जाकर देखिए। वहां आपको खुदरा सामान की गिनी-चुनी दुकानें मिलेंगी। जानकरों का मानना है कि एफडीआई के आने से उपभोक्ताओं के विकल्प सीमित हो जाते हैं।
भारत जैसे विविधता भरे बाजार में उपभोक्ताओं के सामने असीमित विकल्प होते हैं। बाजार में घुसने के साथ ही बड़ी रिटेल कंपनियों का पहला बड़ा लक्ष्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करना और अपना दबदबा कायम करना होगा, जिससे हो सकता है उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा नुकसान हो।
एफडीआई के आने से बढ़ेंगे दाम
जो लोग मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के आने से दाम कम होने का दम भर रहे हैं, ऐसा कुछ नहीं होने वाला बल्कि खुदरा बाजार में विदेशी कंपनियों के आने से एकाधिकार की स्थिति पैदा होगी, जिससे वे मनमाने दरों पर अपने उत्पाद बेचेंगी। खुदरा व्यापार में एफडीआई का विरोध करने वालों ने वालमार्ट को निशाना बनाते हुए कहा है कि सप्लायरों को कम से कम कीमत पर सामने बेचने को मजबूर करने से लेकर उत्पादों की कीमतों में इजाफा और उपभोक्ता के विकल्प सीमित करने की रणनीति की वजह से ही वालमार्ट ने आज यह कामयाबी हासिल की है। वालमार्ट सस्ते से सस्ता सामान बचने का दावा करती है। लेकिन इसका लक्ष्य उपभोक्ताओं को सस्ता सामान दिलाना नहीं बल्कि अपने शेयरधारकों का मुनाफा बढ़ाना है।
नए तरह के बिचौलिए का उद्भव
जहां एक तरफ खुदरा बाजार में विदेशी निवेश आने से पुराने बिचौलियों का सफाया हो जाएगा, वहीं इससे नए तरह बिचौलियों का उदय भी हो जाएगा। नए तरह के बिचौलियों के आने से किसानों के ऊपर उन वस्तुओं के उत्पादन करने का दबाव होगा, जिससे इन विदेशी कंपनियों को फायदा होता हो। यह तो है खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से होने वाले नुकसानों के बारे में एक संक्षिप्त विवरणण्। एफडीआई के आने से देश में खुदरा व्यापारियों का कारोबार ठप हो जाएगा। एफडीआई के मुद्दे पर सरकार की हड़बड़ाहट साफ तौर पर जाहिर करता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और गहराते संकट के बीच बड़ी निजी कंपनियां पूंजी लगाने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश रही हैं और सरकार उनकी मदद करना चाहती है, लेकिन अगर देखें तो सरकार की हड़बड़ाहट से तात्कालिक तौर पर अर्थव्यवस्था को कोई वास्तविक लाभ नहीं होने जा रहा है और न ही अर्थव्यवस्था का संकट दूर होने जा रहा है। हां, यह हो सकता है कि इन फैसलों से कुछ दिनों के लिए शेयर बाजार में सटोरियों को खेलने और सरकार को फीलगुड का माहौल बनाने का मौका जरूर मिल जाए।

-शरद गोयल
मो.नं. 9414002132

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