नितिश कुमार जी कि आत्मा शायाद अब मर चुकी हैं और मरी भी नही हैं तो बीमार हैं या कौमा मे हैं, या फिर मोदी नामक हिटलर कि कैद मे हैं , क्योंकी नितिश कुमार जी आज ज़िस नैतिकता की बात पर जोर दे रहे हैं वह नैतिकता ऊनको 20 महीने पहले क्यों नही दिखाई दी थी जब वह खुले मंच से मोदी की नितियों और मोदी कि स्वयं की आलोचना कर रहे थे , रही नैतिकता कि बात तो वह बिहार कि ही नही देश कि जनता को यह बाताये कि 20 महीने पहले ज़िस मोदी मे सांप्रदायिकता का कोढ़ टपक रहा था वह गले तक सांप्रदायिकता कि गंदगी मे फसा हुअा था , क्या वे सब बीमारिय़ां मोदी से समापत हो चुकी हैं यानी नितिश कुमार कि नजरों मे मोदी अब कोढ़ मुक्त सामान्य आवस्था मे हैं ज़िस्के साथ मांच साझा किया जाओ सकता हैं , लेकिं हमे ऐसा नही लगता नितिश बाबुआ कच्ची गोलियों से नही खेलते , शायाद हमे ऐसा लगता हैं कि उस सांप्रादायिक बीमारी से बडा कोई भूत यानी सरकारी “तोता ” या ” तोती ” ED ने पटना मे अपना स्थाई निवास बना लिया था ,कोई तो माजबूरी रही होगी सुशासन बाबू की, यानी सत्ता ही सार्वोपरी हैं सुशासन के लिये , इस लिये ऊनको यह सार्वजानिक रूप से बताना चाहिये कि ज़िस पर्टी के विरुध बिहार के जिन दबे कुचले , शोषित गारीब जनता ने जो जनादेश दिया था उसका आपमान नितिश कुमार को करने का कोई अधिकार नही हैं इसलिये अपने नाम के अनुरूप नितिश कुमार को नैतिकता का परीचय भी देना चाहिये और लोक तंत्र कि स्वस्थ्य प्रम्पराओं को स्थापित करने के लिये तेजस्वी य़ादव के मामले मे उसको बारखास्त करके नये चुनाव करवाने चाहिये ,थे लगता हैं उन्मे इतना आतंविश्वास हैं ही नही हैं , इसी लिये वह आर एस एस के बुने जाल मे गले तक फंस गये हैं क्योंकी आज सरकारी विभगो कि बागडोर जिन हाथों मे हैं वह हिन्दुत्व के आवराण मे ढ़के हुये हैं उसलिये नितिस कुमार के लिये बिहार का मुख्य मंत्री बने रहना ऊचित और संभव ही नही और अंतोगत्वा ऊनको मुख्य मंत्री का पदवी थाली मे परोश कर भजप को देना ही होगा ,
SPSingh Meerut