मैं उसमें ईज़ाद हुआ

सुरेन्द्र चतुर्वेदी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
तुझसे जब आज़ाद हुआ,
होना था बर्बाद हुआ.

तू तो एक परिंदा था,
तू कैसे सय्याद हुआ.

मेरी बर्बादी के बाद,
वीराना आबाद हुआ.

हैराँ हूँ कि कैसे मैं,
ज़िंदा तेरे बाद हुआ.

बुरे वक़्त को आखिर मैं,
मुंह ज़ुबानी याद हुआ.

अंधों की मैं नज़र बना,
गूंगों की फ़रियाद बना.

जिसपे पुरखे नाज़ करें,
मैं ऐसी औलाद हुआ.

वो ईजाद हुआ मुझमें,
मैं उसमें ईज़ाद हुआ.

सुरेन्द्र चतुर्वेदी

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