माँ कहाँ मिलती है

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
एक महानगर ।एक आलिशान बंगला।चार चपरासी ,दो गाड़ी चार ड्राइवर, चार एसी रूम, चार सुरक्षा रक्षक, अनेक बाबू से लेकर क्लास वन अधिकारी तक मातहत । एक शयनकक्ष , साहब व बाई साहब का । एक साली साहिबा का, शयन कक्ष । एक अतिथि का शयन कक्ष ,जिस में लिखा है ,अतिथि देवो भव । एक साहब का बैठक कक्ष । चारो अटेच लेट बाथ वाले । एक जनरल हाल ।उसके पास एक जनरल लेट । एक जनरल बाथ । जो माँ और माँ के परिवार के साथ नौकरो के संयुक्त उपयोग के लिए है । एक माँ का कमरा पंखे ,कुलर वाला । कमरे में भगवान की मूर्ति । मूर्ति के सामने वाली दिवाल पर टंगी माँ की फोटू । माँ की फोटू के पास पिता जी की फोट़ू । पिताजी की फोट़ू पर स्थाई माला । फोट़ू के नीचे आगम -निर्गम की तिथि दर्ज । माँ के कमरे से माँ नदारत। फिर माँ कहाँ मिलेगी ? उसी महानगर की तंग बस्ती में । जहाँ छोटा पुत्र रहता है । बडे़ भाई की पढ़ाई पर अधिक खर्च आने व उसको अधिकारी बनाने की चाह में पिताजी के पास छोटे पुत्र को 11वीं से ज्यादा पढ़ाने की क्षमता नहीं बची थी ।कम पढ़ा होने से छोटा भाई पंसारी की दुकान पर पिताजी के जाने के बाद उनके स्थान पर अनुकंपा स्वरूप लगा लिया गया था । जो सुबह ,ताला खोलने से लेकर रात को ताला लगाने तक के सब काम करता है । बहु आँगनवाड़ी चलाती व सिलाई करती व माँ की सेवा करती । पुत्र की दुकान की मजदूरी . बहु की मजदूरी व माँ के आशीर्वाद से उसका घर चलता है। वहीं माँ मिलती है । माँ घर मै निवास करती है, बंगले मै नहीं रहती।

हेमंत उपाध्याय । व्यंग्यकार व लघुकथाकार ।पं. राम नारायण उपाध्याय वार्ड खण्डवा म प्र 9424949839 9425086246 7999749125 gangour knw.gmail.com

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