मालानी महामना क्रान्तिवीर रामदान डऊकिया का जीवन परिचय

बाड़मेर 14 मार्च
मालानी महामना रामदान चौधरी का जन्म बाड़मेर के सरली ग्राम में तेजाराम डउकिया के घर 15 मार्च 1884 को हुआ। रामदान चौधरी भाई बहिनों में सबसे छोटे थे। वे बाल्यकाल से ही होषियार और कुषाग्र बुद्धि के थे। मात्र सात साल की आयु में सांजटा गांव से सरली तक ऊॅंट पर पानी की पखाल लाते थे। सन 1898 में परम पूज्य पिताश्री का साया इनके सिर से उठ गया। सन् 1899-1900 विक्रम सवंत 1956 में मारवाड़ मरूधरा को भंयकर विपदा अकाल छप्पना काल का सामना करना पड़ा। इस अकाल की विपदा घड़ी में संघर्ष के पर्याय रामदान अपने भाई रूपाजी, फुसाजी एवं मेहराज के साथ मारवाड़ से 200 किमी दूर स्थित सिंध की ओर पैदल प्रयाण किया।
शुरूआत में रामदान चौधरी रेलवे में गेंगमैन पद पर रहे। कार्यकुषलता को देखते हुए रेलवे में पथ निरीक्षक (पीडब्ल्यूआइ) पर पदोन्नति कर समदड़ी में पदस्थापित किया गया। सन् 1926 में बलदेवराम मिर्धा के साथ में मिलकर जोधपुर नगर में जाट बोर्डिंग हाउस का शुभारम्भ किया तथा 1930 मे ं16 छात्रों को बोर्डिंग हाउस में प्रवेष दिलाया। 1930 में बाड़मेर स्थानान्तरण होने पर उन्होनें घर-घर जाकर षिक्षा के क्षैत्र में जागरूक करने का कार्य किया। इसी के साथ एक-एक कर 11 छात्रों को अपने पास लाये। अपने ही आवास पर रखा तथा अपनी धर्मपत्नि व पुत्रवधू ने हाथ चक्की पर आटा पीसकर अपने हाथ से रोटिया बनाकर पूर्ण मातृ स्नेह के साथ षिक्षार्थियों को खिलाते हुए उनके विद्यार्जन की व्यवस्था की ताकि षिक्षार्थी को अपने घर परिवार की कमी महसूस न हो। 1932 में आपके उत्कृष्ठ रेल सेवाओं के फलस्वरूप जोधपुर रेलवे स्वर्ण जयंति के उपलक्ष पर आपको उत्कृष्ठ सेवा मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया। 1937 में भी षिमला में उत्कृष्ठ सेवा मैडल प्रदान किया गया। सन् 1934 में बाड़मेर जाट किसान बोर्डिंग हाउस की स्थापना की।बाड़मेर के आस पास के गांवों का भ्रमण कर किसानों छात्रों को इस बोर्डिंग में भर्ती किया।
राजनीति जीवन
सन् 1951 में मारवाड़ किसान सभा का भारर्तीय कांग्रेस में विलय हो गया। तब आप भी कांग्रेस की टिकट से बाड़मेर सी विधानसभा क्षैत्र सिणधरी गुडामालानी से चुनाव लड़ा। किन्तु पराजित हुए। फिर भी समाजसेवा जारी रही। 1954 में आप बाड़मेर तहसील पंचायत के सरपंच चुने गये। 1957 में गुड़ामालानी से विधानसभा के सदस्य चुने गये। विधायक के रूप में रहते हुए मृत्युभोज कुरीति का विरोध किया और इसका 1960 में विधानसभा द्वारा पारित करवाया। इसके पष्चात अपने पुत्र राजनीति के क्षैत्र में उतारा।

Nishant Shrivastava
Lakesparadise.com
47, North Sunderwas
Vidhya Vihar Colony
Udaipur Rajasthan

error: Content is protected !!