पंचायत, समाज और हम

मोहन थानवी
हम कुछ क्षण तो सोचें कि हम किस लिए हैं । हम में से बहुत से लोग 18 – 18 घंटे काम करते हैं । कुछ लोग 10 से 5 की नौकरी कर दो-तीन घंटे बच्चों के साथ और एक-दो घंटे अपनी घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार में और बाकी समय सामाजिक जीवन में बिता रहे हैं । विद्यार्थी जीवन आज वैसा नहीं रहा जैसा हम लोगों यानी 1950 /60/ 70/ 80 के दशक के जन्मे लोगों ने बिताया। युवावस्था आज 90 के दशक के बाद के जन्मे साथियों का अनुभव बढ़ा रही है । 80 से 90 के दशक में जन्मे धीर गंभीर युवा संक्रमण काल के विचाराधीन है । संक्रमण काल याने वे अधेड़ावस्था की ओर अग्रसर है । युवावस्था का जीवन अनुभव बच्चों को दे रहे हैं । ऐसे में समाज के लिए कौन क्या कर रहा है। विचारणीय है । विचार कीजिए । समाज के लिए यदि आपने बीते हुए 10 से 25 वर्षों तक कुछ किया है तो यह आपके जीवन की समृद्धि का प्रतीक है। बहुत कुछ किया है तो यह आपके सामाजिक जीवन की समृद्धि का प्रतीक है । और आपने अपने दो से अधिक दशक समाज को समर्पित किए हैं तो यह आपकी आपके परिवार की और आपके पूरे जीवन की सफलता का परिचायक है। विचार करें और यदि यह पाते हैं कि आपने समाज के लिए बीते हुए 20 से 25 वर्षों तक कुछ नहीं किया अथवा आप संतुष्ट नहीं है अथवा लोग आपके किए हुए कार्यों से अनभिज्ञ हैं या नकारते हैं तो यह समझ लीजिए कि आप सामाजिक जीवन में भले ही कितने ही निपुण हो लेकिन समाज को आप समर्पित नहीं है। यह एक कटु सत्य है । समाज उन्हीं लोगों को प्रोत्साहित करता है जो समाज को समर्पित होते हैं । अथवा समाज को उन से अपेक्षाएं होती है । अथवा वह ऐसे कुछ लोग होते हैं जो कमजोर होते हैं । कमजोर आर्थिक रुप से हो सकते हैं। कमजोर शारीरिक रूप से हो सकते हैं। कमजोर स्वास्थ्य के नजरिए से हो सकते हैं। कमजोर मानसिक रूप से हो सकते हैं। फिर भी समाज प्रोत्साहित करता है। लेकिन यदि आप कमजोर नहीं है और समाज के लिए कुछ कर सकने की स्थिति में है बावजूद इसके हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं यानी समाज के लिए ऐसा उल्लेखनीय नहीं कर रहे जिसे समाज विकास में सहयोग कहा जा सके तो समाज आपको उस श्रेणी में ला देता है जिसे आम श्रेणी कहा जा सकता है । इसलिए अपनी श्रेणी को उच्च स्थान दिलाने का यत्न हम सभी को करना ही चाहिए । हम में से बहुत से साथी ऐसा करते भी हैं । हां यह जरूर है कि इसकी चाहत कभी मन में नहीं रहती कि हमें कोई श्रेणी मिले । मगर सामाजिक अंकेक्षण के रूप में हम और आप स्वयं ही अपने ही समाज के साथियों को वरिष्ठ जनों को श्रेणी प्रदान करते हैं। उदाहरण के रूप में हम और आप जब किसी व्यक्ति के बारे में बात करते हैं तो उस व्यक्ति को कुछ विशेषण हम स्वयं देते हैं । वह बड़ा सेवाभावी है । वह हर वक्त मदद को तैयार रहता है आदि आदि । यह सब यहां रेखांकित करने का मूल कारण वर्तमान परिस्थितियां है। वर्तमान में समाज को हम सभी की आवश्यकता है । हम सभी सक्रिय रुप से समाज विकास में अपनी यथाशक्ति सहयोग प्रदान करें। यह नितांत अनिवार्यता लिए हुए समय है । जबकि हमारा समाज पुरुषार्थी के रूप में बाकी समाज की ओर से सम्मानित किया जाता है। ऐसे में इस श्रेणी को बढ़ाने अर्थात समाज की श्रेणी को और अधिक उच्च स्थान दिलाने के लिए हमें उतनी ही कड़ी मेहनत करनी है जितनी कड़ी मेहनत हम से पहले की पीढ़ी के लोगों ने की। तब परिस्थितियां भी विपरीत थी। आज अनुकूल परिस्थितियों में जी रहे हैं । विपरीत और अनुकूल परिस्थिति यहां इस मायने में प्रयुक्त कर रहा हूं की हम से पहले की पीढ़ी में वह जज्बा था जिससे वह विभाजन की त्रासदी को भोगते हुए अपनों से बिछड़ने के दर्द को पीते हुए समाज को पुष्ट करते रहे। स्वयं भी अपने पैरों पर खड़े होकर दूसरों को भी रोजगार के अवसर देते गए। और हमें यह गौरव प्रदान किया कि हम पुरुषार्थी कहला रहे हैं। इस गौरव को बनाए रखना हम सबका दायित्व है । और आज हालात हमें समाज के लिए कुछ कर दिखाने के पुकार लगा रहे हैं । यह सब भूमिका बांधने के पीछे वजह है हमारा संगठित होकर समाज के लिए कुछ करने का संदेश देना । संगठन से ही शक्ति बढ़ती है। समाज का संगठन अर्थात पंचायत। पंचायत के स्वरूप को और मजबूत करने की जरूरत है। जैसा कि हमारे बुजुर्गों ने किया । यहां सिर्फ रेखांकित करता हूं सिंध में पंचायत के माध्यम से ही व्यक्ति और समाज अपने आप को पुष्ट बनाए हुए रहे। समृद्ध होते गए । पंचायत हमारी परंपरा रही है इसका सम्मान करना पंचायत का सम्मान करना, पंचायत से जुड़े हर सदस्य का, पंचायत के बनाए नियमों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है । दायित्व है । फर्ज है। और हम स्वयं उसी श्रेणी में है यानी हम पंचायत के अंग हैं । हम पंचायत और इससे जुड़े लोगों का सम्मान करेंगे तो समझिए कि हमारा अपना सम्मान होगा। यदि मेरी बात कहीं गलत रही है आप साथियों में से किसी को कहीं कोई चूक नजर आ रही है तो मैं अग्रिम क्षमा चाहता हूं । मेरा मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम सक्रिय रूप से अपने समाज को विकसित करने के लिए समाज का विकास करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ें। अपनी सक्रिय भूमिका निभाकर पंचायत को पुष्ट करें। पंचायत के चुनाव हो रहे हैं । चुनावों में समाज के हित को ध्यान में रखते हुए अपना योगदान अवश्य दें।.

✍️ मोहन थानवी

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