हरि राम एंड संस -सब पर नजर, सब की खबर

शिव शंकर गोयल
जब से यूपी पुलीस मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने घुटनों पर आई है तबसे वह कुछ ज्यादा ही सक्रिय होगई है. उसने अब फिल्म “शोले” के हरिराम नाई की सेवाएं लेनी शुरू कर दी है.
वैसे तो हरि राम एंड संस का लोगों के बाल आदि काटने का पुश्तैनी धंधा रहा है लेकिन जरूरत पडने पर वह लोग मुखबिरी, जच्चा-बच्चा, रिश्तों-नातों, शादी-विवाह संबंधी काम-काज भी करते रहते है. इसमें जासूसी अर्थात सबपर नजर, सबकी खबर प्रमुख है. हरी राम का कहना है कि जेलर साहब अंग्रेजों के जमाने के है तो हम भी कोई कम नही है, राजा-महाराजाओं के समय से है.
हरी राम का दावा है कि हमारें नाम का पेटेंट तो नही है लेकिन इस नाम को और कोई इस्तैमाल नही कर सकता. पिछले दिनों पढे-लिखे एमए पास एक बेरोजगार नवयुवक ने हमारें नाम से चाय-पकौडों की बजाय छल्ली-भुटटे- का ठेला लगा लिया क्योंकि इसमें नाले की गैस की भी जरूरत नही पडती. उसका धंधा तो चल निकला लेकिन हम लोगों ने हरीराम नाम का इस्तैमाल करने का विरोध किया.
कुछ समय पूर्व तक यह हालत दूसरी थी. उदाहरणार्थ, एक बारबर की दुकान पर पास के थाने का एक सिपाही अपने बाल कटवा कर बिना पैसे दिए ही जाने लगा तो सैलून वाले ने उससे पैसे मांगे. सिपाही ने आनाकानी की और किसी को फोन किया. थोडी देर में सायरन बजाते हुए बाईक सवार पुलीस वाला आया और आते ही अपने आदमी को पूछा कि क्या रोला है ? तो उस सिपाही ने कहा कि यह सैलूनवाला दादागिरी कर रहा है मेरे से पैसे मांग रहा है. यह सुनकर वह आगंतुक आगबबूला होगया और बुरा-भला कहने लगा. इतने में ही उसकी नजर सामने टंगे बोर्ड पर गई जहां चिल्डरन कटिंग के बारे में कुछ लिखा देखकर वह और भी भडक गया और बोला कि अच्छा तो तुम यहां बच्चें काटने का काम भी करते हो. तभी मैं कहूं कि हर रोज थाने में बच्चों के गुमशुदा होने की रिर्पोटें क्यों आरही है ? इतना कहकर वह दुकान मालिक को अपने साथ थाने लेगया, लेकिन अब वक्त बदला है. हरिराम एंड संस के अच्छे दिन आगए है. उल्टे पुलीस उनसे मदद मांग रही है.
हरिराम एंड संस के साथियों ने न केवल दुकानों में बल्कि फुटपाथ पर किसी पेड के नीचे भी अपनी दुकानें खोली हुई है और अधिकांश ने इसे नाम दिया है “इन्टरनेशनल सैलून”. इसका नतीजा यह हुआ है कि कई संस्थानों ने अपने नाम के आगे-पीछे इन्टरनेशनल लगाना शुरू कर दिया है. इस तरह यकायक लोगों का स्तर ऊंचा उठ गया है यानि उनके अच्छे दिन आगए है.
बहुत वक्त नही गुजरा तब हरिराम से फ्रेंचाइजी लिए अधिकांश सैलून में ग्राहकों के लिए ईलाहाबाद से प्रकाशित मनोहर कहांनियां मासिक पत्रिका मंगवाई जाती थी. जिज्ञासा प्रकट करने पर एक सैलून चालक ने रहस्योदघाटन किया कि वैसे तो यह हमारा छुपा ऐजेन्डा है लेकिन आपको अपना समझकर बताये दे रहे है. जब इंतजार में बैठा ग्राहक इस पत्रिका में रहस्य-रोमांच के किस्से पढता है तो अनायास ही उसके बाल खडे होजाते है जिससे हमें उन्हें काटने में सहुलियत रहती है
हरिराम एन्ड संस के आदमी घर घर जाकर अपनी मॉबाइल सर्विसेज भी देते रहे है. ऐसे ही एक जगह एक ग्राहक अपनी शेव बनवाने लगा. उसके गालों पर ज्यादा ही गढ्ढें थे. शेव बनाने वाले ने अपनी पेटी से कांच का कंचा निकाला और उसे कहा कि इसे दांतों के बीच गाल की तरफ दबालो ग्राहक ने ऐसा ही किया. एक तरफ करने के बाद दूसरी तरफ भी ऐसे ही किया. इसी बीच उसने शंका जाहिर की कि अगर कोई कंचा पेट में चला जाय तो ? शेव बनाने वाले ने कहा कि कल लौटा देना, जैसे दूसरे करते है.
हरिराम एन्ड संस की बारबर शॉप का अब आधुनिकरण भी होगया है. अब उसे सैलून कहा जाता है. यह अब वरिष्ठ नागरिकों से ज्यादा रेट वसूलते है. पूछने पर एक सैलून मालिक ने सफाई दी कि चूंकि बाल ढूंढ ढूंढकर काटने पडते है जिसमें मेहनत ज्यादा लगती है इसलिए रेट ज्यादा रखी है
योगीजी की पुलीस द्वारा हरिराम एन्ड संस की मदद लेने से उनका रूतबा बढ गया है. यहां तककि बहुतेरे डाक्टरों की सैकिंड ऑपीनियन यही रहती है कि अगर आपके बच्चें को ठीक से नजर न आ रहा हो तो उसे किसी बाल काटने वाले के यहां लेजाओ.
इससे यह लगता है कि आजकल हरिराम एंड संस के भाव बहुत ऊंचे है.

शिव शंकर गोयल

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