आखिर किसके पास है भारत का मूल संविधान

एक साल से इसका जवाब भारत सरकार के मंत्रालय नहीं दे पा रहे हैं।*

तरुण अग्रवाल
भारतीय कानूनों के आधार ग्रन्थ ‘हमारे संविधान’ की उपलब्धता की जानकारी क़ानून मंत्रालय के पास भी नहीं है न ही वह यह बता पा रहा है की मूल संविधान की पुस्तक है तो कहाँ है? सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत माँगी गई मूल संविधान की प्रति एक साल बाद भी नहीं मिल पाई है और आवेदन एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय हवा खा रहा है।

अजमेर निवासी तरुण अग्रवाल ने गत एक जून 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय, नयी दिल्ली में आवेदन प्रस्तुत कर मूल संविधान की प्रति चाही थी। आवेदन को गृह मंत्रालय ने क़ानून एवं न्याय मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया। अक्टूबर में क़ानून मंत्रालय ने आवेदक को पत्र लिखकर सूचित किया कि गृह मंत्रालय से सूचना उपलब्ध कराने के लिए पत्र प्राप्त हुआ है लेकिन क्या सूचना उपलब्ध करानी है वो नहीं मिला है। अग्रवाल ने आवेदन की प्रति क़ानून मंत्रालय भिजवा दी जिसका कोई जवाब आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। मामला केंद्रीय सूचना आयोग में लंबित है।
इसी आवेदन को नए सिरे से दुबारा इस वर्ष फरवरी में क़ानून मंत्रालय को भेजा। इस बार क़ानून एवं न्याय मंत्रालय ने संविधान की मूल पुस्तक संसदीय कार्य मंत्रालय के पास होना बताते हुए आवेदन को संसदीय कार्य मंत्रालय को ट्रांसफर कर दिया किन्तु संसदीय कार्य मंत्रालय ने आवेदक को सूचित किया कि संविधान की मूल पुस्तक उनके पास नहीं है।
*तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर किसके पास है भारत का मूल संविधान!*
*क्या वह भी अन्य फाइलों की तरह गायब तो नहीं हो गया।*

तरुण अग्रवाल
अजमेर। 9214960776

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