“राम” नाम की संख्या के साथ भावना का बडा संबंध है. मानलो कोई पांच बार “राम राम” बोलदे तो यह माना जाता है कि वह गायत्री मंत्र की पंचाक्षरी – “ऊँ भूर्भवस्व:” की तर्ज पर राम नाम का पाठ कर रहा है. इसकी बडी महिमा है.
राम नाम छ: बार बोलने की भी महिमा है. राम के वनवास जाने के बाद राजा दशरथ छ: दिन ही जिन्दा रहे. उनके प्राणान्त का भावपूर्ण चित्रण गोस्वामीजी ने निम्न चौपाइयों में रामचरितमानस में किया है जिसमें छ: बार राम नाम आया है.
“राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम.
तनु परहरि रघुवीर विरह, राऊ गयऊ सुरधाम.”
अगर भक्ति रस में डूबकर जप करोगे तो इससे भी अधिक बार “राम” बोलोगे और राम नाम की माला फेरनी है तो 108 बार “राम राम” निकलेगा.
कहने का तात्पर्य यह है कि राम नाम बोलने अथवा बुलवाने में जोर जबर्दस्ती अथवा हिन्सा की आवश्यकता ही नही है. उल्टे राजस्थान विधानसभा में तो प्रेम से बुलवाने पर सभी एमएलए ने-जिसमें सभी सम्प्रदाय के लोग थे- खुशी खुशी जय श्री राम बोला.
शिव शंकर गोयल