बंजर भू में ढूंढ़ रहे हैं

नटवर विद्यार्थी
बंजर भू में ढूंढ़ रहे हैं ,
रात- दिवस जो मोती ।
कैसे उनको समझाएँ हम ,
खो दोगे तुम ज्योति ।
मोती को पाने के ख़ातिर ,
सागर तट पर जाएं ।
सही दिशा में अपने श्रम को,
मिलकर आज लगाएं ।
माना अरे,असंभव कुछ भी ,
नहीं जगत में होता ।
पर सच्चाई से भी करना ,
पड़ता है समझौता ।
सही दिशा में क़दम बढ़ाना ,
होता है हितकारी ।
बार – बार यदि भटकोगे तो ,
होगी हँसी तुम्हारी ।

– नटवर पारीक

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