*विचार – प्रवाह*

नटवर विद्यार्थी
सुप्रसिध्द दार्शनिक सिसरो ने लिखा है कि इस संसार में मित्रता से अधिक कुछ भी मूल्यवान नहीं है । सचमुच जिस व्यक्ति के पास सच्चे और अच्छे मित्र हो वह दुनिया का सबसे धनाढ़्य व्यक्ति है ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार ऐसे मित्रों की खोज में लगे रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो । रहीमदास जी ने भी अच्छे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि अच्छा मित्र हमें ग़लत रास्ते पर जाने से रोकता है , दुःख के समय साथ देता है , उन्नति की राह पर ले जाता है जबकि बनावटी मित्र हमें पतन की ओर धकेलता है ।
अगर सच्चा मित्र नहीं मिले तो अकेले ही रहना और विचरना ठीक है किसी मूढ़ के साथ कभी मित्रता या संगत नही करें ।
सच्चा मित्र अपने मित्र के दोष मित्र से ही कहता है औरों से कभी नहीं । मित्र की प्रगति देखकर प्रसन्न होता है , मित्र की निंदा करने वाले को रोकता है और प्रशंसा करने पर स्वयं भी प्रशंसा करता है । सार रूप में सुख – दुःख में एक सा साथ दे , वही सच्चा मित्र है ।सच्ची मित्रता में कृत्रिमता और बनावटीपन कभी नहीं होता । निःस्वार्थ भाव से की गई मित्रता अटल और स्थायी होती है । मुझे गर्व है कि मेरे पास ऐसे मित्र हैं ।

– नटवर पारीक

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