21वीं शदी के तीसरे दशक को सुखमय और खुशहाल बनाने के आसान मूल मन्त्र Part 1.

dr. j k garg
1.सच्चाई यही है कि आशाओं का जीवन काल अंनंत होता है वहीं दूसरी तरफ निराशा और असफलता का जीवनकाल अल्प एवं छोटा होता है इसीलिए निराशा और असफलताओं के निराशाजनक वातावरण में आशा का दीपक जलायें रक्खें और घनघोर अंधकार मे भी प्रकाश की किरणें की खोज करें |

2.खुशी आदमी के भीतर ही होती है तथा रिलेक्स मन ही प्रगति और खुशहाली का प्रवेशद्वार है| वास्तव में सभी इन्सान और अन्य प्राणी अविनाशी पवित्र और शांती प्रिय आत्मायें हैं और परमपिता परमात्मा की संतान है , उनका कोइ रगं नहीं ना ही कोइ धर्म ना ही कोई लिंग है धर्म का चेहरा तो उनको समाज ने दिया है| याद रक्खें कोई धर्म आपस में घ्रणा और वैर करना नहीं सीखाता है | आपस में वैमनस्य फेलाने का काम तो तथाकथित धर्म के ठेकेदार ही करते हैं| बापूजी के भजन ईश्वर अल्लाह एक ही नाम, सबको सन्मति दें भगवान” का अक्षरस पालन करें | इसीलिए लिये किसी से भेदभाव नहीं करें वरन सभी को स्नेह, प्रेम और प्यार दें |

3. दूसरों के दुःखदर्द एवं पीड़ा को समझें, उनकी मदद करें, उनके दुःख एवं तकलीफों को दूर करने मै मदद करें | करुणामय बनें |संवेदनशील बने |

डा. जे. के. गर्ग

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