काका हाथरसी जाते -जाते भी यह संदेश दे गए कि केवल ख़ुशी के पल बिताना ही उत्सव नहीं है अपितु दुःख और परेशानियों के क्षण गुजारना भी उत्सव है । जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान न जाने किन – किन पड़ावों से गुजरता है । पड़ाव गुजरते जाते हैं और जीवन व्यतीत होता रहता है । सकारात्मकता व्यक्ति में ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करते हुए हर स्थिति को उत्सव का रूप देती रहती है और नकारात्मकता खुशी के अवसरों को भी उससे छीन लेती है ।
उत्सव आते हैं और चले भी जाते हैं । जिसने जीवन के हर क्षण को उत्सव का रूप देना सीख लिया वह विशेष दिनों में ही नहीं अपितु हर दिन प्रफुल्लित रहता है । प्रतिदिन स्वयं के एवं औरों के जीवन में खुशियाँ बिखेरें । मकर सक्रांति महोत्सव की शुभकामनाएं ।
– नटवर पारीक