किसी भी राष्ट्र के उन्नयन के तीन स्तंभ है – समाज सुधारक , राजनीतिज्ञ और रचनाकार । आज़ादी का आंदोलन हो ,चाहे समाज में व्याप्त असमानता , शोषण या कुप्रथाएं । इन सबके लिए क़लम उठाकर आवाज़ उठाने वाले रचनाकार ही थे और उन्हें मूर्तरूप देने वाले समाज सुधारक व राजनेता थे । आज भारतीय ही नहीं विश्व इतिहास में वो कालजयी बन गए और युग प्रवर्त्तक कहलाए । कालजयी रचनाकारों , समाज सुधारकों एवं राजनेताओं को शत-शत वन्दन ।
– नटवर पारीक