दुनिया को पहचान ले बेटा

इंसानों की फितरत में शैतानी रहती है,
सीधे बंदे को ये दुनिया पागल कहती है।
लोगों की रग-रग में फैली चालाकी को जान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

मतलब होगा तो ये दुनिया मीठा-मीठा बोलेगी,
स्वार्थ की तराजू पर तेरे सारे फायदे तौलेगी,
अपने दिल की गाँठें चाहे कभी भी ये ना खोलेगी,
मगर तेरे भीतर के राज़ को हरदम खूब टटोलेगी।
लोगों की इस मक्कारी को बड़े गौर से छान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

लोग तेरे आगे बढ़ते कदमों को अक्सर रोकेंगे,
तेरे नेक इरादों पर भी तुझको हरदम टोकेंगे,
मगर तुझे अविचलित रहकर अपनी राह बनाना है,
कभी न रुकना, चलते जाना और मंज़िल को पाना है।
असली मंज़िल पाने की ज़िद, अपने दिल में ठान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ दुनिया का दस्तूर है,
जो जितना ताकतवर है, वो उतना ही मगरूर है,
लोग बड़े ज़ालिम हैं बेटा, लालच तुझे दिखायेंगे,
फिर चालाकी दिखाके अपने जाल में तुझे फँसायेंगे।
खतरनाक शातिर लोगों से कभी न तू एहसान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

इस जीवन में कई बार ऐसा भी मौका आयेगा,
दुविधा के चौराहे पर तू, ठिठका खुद को पायेगा,
अपनों की मीठी साजिश पर ध्यान तुझे देना होगा,
अपने विवेक से तुझको, सटीक निर्णय लेना होगा।
कई ठोकरें खाईं हमने बात हमारी मान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

हमें पता है बेटा तुझमें हुनर-हौसला दोनों हैं,
जीवन में कुछ पाने की इच्छा और जज़्बा दोनों हैं,
मगर तुम्हें हर कठिन चुनौती को रहना होगा तैयार
मन में हिम्मत बरकरार रखकर ही नैया होगी पार।
बुलंद हौसलों के पंखों से लक्ष्य की ओर उड़ान ले बेटा. . . . !
दुनिया को पहचान ले बेटा. . . . !

*गजानन महतपुरकर,
वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी,
पश्चिम रेलवे, चर्चगेट, मुंबई-20,
मोबाइल-9004490052

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