खगोल विज्ञान और कोरोना

ज्योति दाधीच
करीब2 सप्ताह पूर्व में जब मैं मुंबई अपनी एस्ट्रो विजिट पर गयी तब मेरे एक स्नेही यजमान सुप्रसिद्ध होटल व्यवसायी भाई श्री रंजय प्रताप जी ,जो अक्सर मेरी पोस्ट फॉलो करते ह जब वे एयर पोर्ट पर मुझे रिसीव करने पधारे तो मार्ग में चर्चा के दौरानउन्होंने मुझे 19 दिसम्बर को मेरे द्वारा 26 दिसम्बर को होने वाले सूर्यग्रहण के फलस्वरूप घटने वाली प्राकृतिक राजनीतिक ओर महाविनाशकारी महामारी की उतपत्ति पर लिखी पोस्ट के बारे में चर्चा कर याद दिलाया , ओर कोरोना वायरस की उतपत्ति के खगोलीय घटनाक्रम की चर्चा की ओर बताया कि बहन आपने ग्रह गोचर का सटीक आंकलन कर जो लिखा वो सत्य हो गया परन्तु अब घर जाकर पंचांग उठा कर आगामी इस वैश्विक महामारी युक्त आपदा से बचने का भी कोई योग अथवा समय हो तो बताइए ।
ज्योतिष में अगर कोई इन ग्रह जनित रहस्यमयी रोग से बचाव मुक्ति और प्राकृतिक प्रकोपों से निजात भी आप लोगो को भी ढूंढने चाहिए।

मैंहैरान रह गयी उनकी स्मृति देख कर ।
उन्हें यकीन दिलाया कि घर पहुंच कर अवश्य इसपर फलित निकालने की कोशिश करूँगी,ओर घर आकर आज इस विषय पर कुछ फलित निकालने का प्रयास किया।

कंकण रूपी सूर्यग्रहण जो कि 26 दिसम्बर को घटित हुआ था,धनुराशि मूलनक्षत्र कृष्णपक्ष की अमावस्या,नागपाश,नाग करण, होना प्रजा के ऊपर असहनीय पीड़ा एवं भय की उतपत्ति को दर्शा रहा था, ग्रहण के दुष्प्रभावों को लेकर लिखा फलित वाकई सत्य प्रतीत हो रहा। चूंकि ज्योतिष विषय की में कोई बड़ी विदुषि तो नही ,परन्तु जिज्ञासु हु ओर अक्सर फलित का आंकलन करने की कोशिश करती हूँ । या यूं कहूँ एक शोधार्थी मात्र हु।🙏
विगत26 दिसम्बर 2019 को सप्त ग्रह सूर्य,चन्द्र,बुध,गुरु,शनि,केतु,प्लूटो का एक राशि(धनु) मे बेठ जाना चूंकि हमारे देश भारत की राशि भी धनु हुई फल स्वरूप विभिन्न प्रकार ग्रहों की आपसी युतिके दुष्प्रभाव से प्राकृतिक प्रकोप,राजनीतिक अस्थिरता,महँगाई,अर्थव्यवस्था पर भारी चोट,शेयर बाजार में भूचाल, केंद्र में लूटपात,दंगा आगजनी,कमरतोड़ महंगाई, अराजकता,अति वृष्टि,हिम पात ऐसा की रिकॉर्ड टूट गए, अराजकता,प्रजा में अन्तोष,दंगा फसाद आगजनी, एवम आंतरिक विग्रह के कारण लोकसभा,राज्यसभा में सरकारों का पक्ष घटना इत्यादि घटनाएं फलीभूत हुई और वर्तमान में हो ही रही ह, इसके अतिरिक्त रहस्यमयी जीव द्वारा वायुमंडल से संक्रमण का विस्तार कर विश्व में पांव फैलाना।

कोरोना:-
कहर बरपा रहा रहस्यमयी रोग कोरोना के परिपेक्ष्य में अगर वर्तमान में खगोलीय विज्ञान पर दृष्टि डाली जाय तो ज्योतिषीय घटना क्रम में :-
ज्योतिष विज्ञान के ग्रह गोचर अनुसार अनुसार कोरोना का उच्चतम प्रकोप 22 मार्च से 14 मई के मध्य रहेगा ।
खगोल विज्ञान के अनुसार

1.गुरु-केतु-मंगल की भूमिका: 🌟🌟🌟🌟🌟
देवगुरु बृहस्पति का ग्रह केतु एवं मंगल के साथ धनुराशि पर होने से जीव की उतपत्ति हुई। विशेष कर गुरु +केतु(शत्रु युति) मंगल का धनु में ही केतु से युति(शत्रु युति) होना जीवाणु विस्तारक योग बना रहा ह। केतु आकाशीय वायुमंडल में प्रदूषित वायु को प्रभावित करता ह वही मंगल उसे संक्रमित कर विस्तार देता ह।
🌚🌚🌚🌚
2.राहु की भूमिका:- वायु से सम्बंधित रोग का मूल का कारण मिथुन राशि आद्रा नक्षत्र में राहु की उपस्थिति भी ह कोरोना वायरस का
जब से राहु ने आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश किया है तभी से कोरोना वायरस की उतपत्ति हुई धीरे धीरे अन्य ग्रहों के गोचर के बदलाव से ये संक्रमण की उच्च अवस्था मे आकर देश विदेशों मे संक्रमण फैला है।
राहु का गोचर मिथुन राशि व आर्द्रा नक्षत्र में चल रहा है।मिथुन राशि वायु तत्व राशि होती है। और आर्द्रा का अर्थ भी नमी होता है।राहु वायरस है। और इसका विस्तार वायु व नमी में ही बहुत तेजी से होता है। इसलिए राहु को मिथुन राशि व आर्द्रा नक्षत्र में सबसे ज्यादा बलशाली भी माना जाता है।कुल मिला के सभी विपरीत ग्रह योगों ने इस रहस्यमयी जीवाणु को प्रकट किया।
आद्रा के प्रवेश काल मे दबे पांव उतपत्ति,एवम मध्य काल मे जीवाणु ने पंख पसर संक्रमण किया और जब आद्रा से मुक्त होने के समय (14मइ)तक नष्ट अवस्था मे जाएगा।
आर्द्रा नक्षत्र के मध्य में इसका ज्यादा प्रभाव रहेगा और नक्षत्र के अंत में इसका प्रभाव भी क्षीण हो जाएगा। जो कि 14 मइ पश्चात दिखाई दे रहा। 🌟🌟🌟🌟🌟
22 मार्च को मंगल अपनी उच्च राशि मकर में गौचर करेंगे,बृहस्पति 29 मार्च को अपनी नीच राशि मकर में आएंगे जहां शनि पहले से विराजमान ह।मंगल 4 मई तक इन ग्रहों से युत होने के प्रभाव से इस समय मे वायुमंडल में रोग अशांति,स्पर्श मात्र के प्रभाव से,हवा के प्रभाव से रोग उतपत्ति एवम मृत्युभय बढ़ने की संभावना रहेगी।यह समय भारत मे भी अशांति कारक रहेगा,मृत्युभय से निपटने के लिए भारत सरकार,एवम प्रदेश सरकारों को कठोर कदम उठाने पड़ जाएंगे।
राहु के अंत के असर 14 अप्रैल से कम होना शुरू हो जाएगा। और 14 मई तक खत्म भी हो जाएगा। क्योंकि इ स पीरियड में सूर्य बलशाली होगा और राहु कमजोर पड़ जायेगा ।इन ग्रह जनित प्राकृतिक प्रकोपों से निपटने क लिए आध्यात्मिक स्तर पर की गई प्रार्थना हवन द्वारा वायुमंडल की शुद्धि संजीवनी साबित हो सकती ह।उक्त समस्त ग्रहों का आधिपत्य भगवान मृत्युंजय महादेव माँ दुर्गा के शरण मे सम्भव ह।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
महामारी रोगनाश के
ज्योतिषीय उपाय:-मंगल,गुरु,की उपासना ओर इन ग्रहों के दान विष्णुसहस्त्रनाम ,सुंदरकांड,हनुमान जी की पूजा से ग्रहबल पाए,शनिदेव का दान करे ।
आध्यात्मिक उपाय :- देवी महात्मय अर्थात दुर्गा सप्तशती में दिए हुए इन मंत्रों द्वारा माँ भगवती से यदि प्रार्थना की जाए तो भी लाभकारी होगा ।
महामारी नाशक :-
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ॥
रोगनाशक :-
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

अपने संकल्प में विश्व शांति और इस महामारी और रोग नाश की कामना करें साथ ही मंगल एवं गुरु की उपासना ,शनिदेव का दान हवन पूजन मंत्र जाप करने से इस वैश्विक संकट से कुछ
सुरक्षा की जा सकती ह। महामृत्युंजय जाप, गायत्री मंत्र जाप, विष्णु सहस्त्रनाम ,,सुंदरकांड पाठ घर मे नित्य कपूर आरति इस आपात काल मे संकट उद्धारक 🙏🙏🙏🙏 आइए हमारी सनातसंस्क्रति की ओर जुड़ जाने का निवेदन करती हूं ।सात्विक आहारअपनाए,स्वच्छता रखे,आयुर्वेद,योगऔर प्राणायाम जैसी संजीवनी हमारे ऋषिमुनि हमे विरासत में दे गए ।आइए मैं ज्योति दाधीच आपने आत्म बल से डट कर संकल्प बद्ध हु आज से ऐसी वैश्विक आपात घड़ी में मैं कोरोना को मात देने अपने देश के साथ सजग खड़ी हु।आप भी डरे नही मुकाबला करे हम देश के साथ ह।स्वच्छता ही संकल्प ह।

जय माताजी की

ऐस्ट्रो ज्योतिदाधीच,
तीर्थराज पुष्कर,राजस्थान।

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