क्या क्रोध आदमी के लिये यमराज है ? Part 1

क्रोध आखिर है क्या?

dr. j k garg
मनोवैज्ञानिक चार्ल्स स्पिलबर्गर, (इन्होंने क्रोध पर विशेष अध्ययन किया है ) के मुताबिक क्रोध एक ऐसी भावनात्मक अवस्था है जिसकी तीव्रता मामूली चिडचिडेपन से अत्यंत चरम सीमा की उत्तेजना, आवेशएवं क्रोधान्धता होती है |अन्य भावनाओं की तरह क्रोध भी शारीरिक और जैविक बदलावों से जुडा होता है। जब आप नाराज होते हैं तब आपके दिल की धडक़नें बढ ज़ाती है और रक्तचाप भी बढ ज़ाता है और साथ ही साथ आपके एनर्जी हारमोन्स एड्रेनेलिन और नोराड्रेनेलिन का स्तर भी बदल जाता है।
जब आप क्रोधित होते हैं तो उसी क्षण आपकी सोच अतार्किक एव अत्याधिक नाटकीय हो जाती है, आप उत्तेजित होकर अपना सयंम खो देते हैं | इस समय एकाएक आपके मुख से निकल पड़ता है “हाय यहक्या हो गया, हर चीज बर्बाद हो गई, सब कुछ खत्म” इस वक्त कुछ क्षणों के लिये लम्बी साँस ले औरतनिक शांत होकर अपनी सोच को तर्कयुक्त बनायें और अपने आप से कहें की जो कुछ हुआ वोअफसोसजनक है किन्तु जीवन में कभी कभार ऐसा हो जाता है

प्रस्तुतिकरण डा. जे. के. गर्ग

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