कहां तक ये मन के अंधेरे छलेंगे.

उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे….
✍️जी हां दोस्तों अंधेरे में रोशनी की किरण दिख गई है।बहुत जल्दी ही हमारी समस्या का समाधान होने वाला है।हम सब भारतवासी पहले की तरह वापस अपने काम धंधे पर लगेंगे।हमारी अर्थव्यवस्था पहले से बेहतर होगी।इस बुरे समय का अच्छा रिजल्ट ये भी आएगा कि लोगों के बीच में जो गैप,वैमनस्यता थी वो कम हो जाएगी।आज हम देख रहे हैं ना कोई देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी और हमारे मुख्यमंत्री एक दूसरे के साथ बैठकर अपनी समस्याएं साझा कर रहे हैं।हमारे दुश्मन देश हमारे देश की पॉलिसी की सराहना कर रहे हैं।ये स्थिति सभी जगह है।आप अपने घर,परिवार, मोहल्ले पर नजर डालोगे तो आपका लगेगा कि कल तक जो हमारे दुश्मन थे अब वो मदद करने और मदद लेने के लिए तैयार है।दोस्तों हर बुरे समय में से कुछ न कुछ अच्छी बात निकल कर आती ही है।आज जब हम सब एकता के सूत्र में बंध गए हैं।तो ये मानकर चलो ये एक अच्छा संकेत है इस मानव सभ्यता के लिए।इस प्रदेश के लिए,इस देश के लिए और इस विश्व के लिए।दोस्तों यही हाल हमारे देश के डॉक्टर्स का है।यही हाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के डॉक्टर्स का है।सभी लोग अपना सब काम धंधा छोड़कर इस महामारी का तोड़ ढूंढने में लगे हुए हैं।और उन्हें सफलता मिल भी रही है।आज के अखबार की ये न्यूज मैं आपको साझा कर रहा हूं देखो आप।” *पांच मिनिट में संक्रमण जांचने वाला किट तैयार*” ये न्यूज अमेरिका के वाशिंगटन से छपी है।इसका क्या मतलब है।इसका सीधा सा मतलब है कि जब आपको बीमारी का पता लग गया तो उसका इलाज दूर नहीं है।आज हमारे डॉक्टर्स क्या करते हैं।जांच करके ही बीमारी क्या है?इस बात के निष्कर्ष तक पहुंचते हैं।सबसे बड़ा काम बीमारी क्या है, ये ढूंढना ही तो है।आज हम लोग कोर्ट में इसी थ्योरी पर तो काम करते हैं।हम क्या पूरी दुनिया इसी थ्योरी पर चल रही है।वैसे तो मैं पिछले दो तीन दिनों से इसी आशा के साथ देश विदेश की मीडिया पर नजरें टिकाए हुए था।और अभी काम भी क्या है मेरे पास।अचानक से ये न्यूज़ देखी।इसी दौरान हमारे भिनाय में पदस्थापित होने वाले नए डॉ. साहब अशोक जी मीणा साहब का फोन आया कि मैं भिनाय जा रहा हूं, पांच मिनिट मुलाकात करते हैं।मैं तुरंत मेरे गांव की पुलिस चौकी पर पहुंचा वहां हमारी मुलाकात हुई।इस समय में कोरोना के अलावा सब्जेक्ट भी क्या होता बात करने के लिए ।इसी पर चर्चा हुई तो जो बात निकलकर आई वो यही आई कि बहुत जल्दी इस बीमारी की वैक्सीन हम सब लोगों के बीच होगी।हो सकता है वो महंगी हो।क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिस चीज की डिमांड होती है वो महंगी हो भी जाती है और फिर चीन,अमेरिका जैसे देश तो वैसे भी लाशों के ऊपर बैठकर सौदा करने वाले लोग हैं।खैर कोई ना महंगी भी होगी तो खरीदेंगे।जान है तो जहान है।दोस्तों हमारे पास तो एक और सुपर पावर ताकत है।हमारी धार्मिक आस्था।हम लोग तो वैसे भी भगवान की शक्ति में विश्वास करने वाले लोग हैं।माताजी के नवरात्रे चल रहे हैं।हमारे कई साथी पूजा,पाठ,व्रत,उपवास करके देवी मां को मना रहे हैं।कहीं न कहीं उन अच्छे लोगों की तपस्या का फल हमें ही तो मिलेगा।हमारा आत्मविश्वास, ईश्वर के प्रति अटूट आस्था, हमारा सरल हृदय,हमारी मेहनत ये सब मिलकर परिणाम की और आगे बढ़ रहे हैं।मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हम बहुत जल्दी इस कैद से रिहा होंगे।हमारी तपस्या और मेहनत का फल मिलने ही वाला है बस थोड़ा सा धैर्यवान बनें।संकट के इस मौसम में भी आनंद के पल ढूंढे।अपने बच्चों को संस्कार दें।अपने काम को घर बैठकर ही जैसा भी कर सकें वैसा करें।धार्मिक पुस्तकें पढ़ें।मोबाइल,टी.वी.तो सबके घरों में है ही।तो दोस्तों इसी आशा और विश्वास के साथ आप सबको माता रानी के पांचवें नवरात्रे की ढेर सारी शुभकामनाएं।

आदर सहित..
डॉ. मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार
9413300227

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