आप हंसेंगे तो नही न ?

हास्य व्यंग्य
घटना पुरानी हैं. एक बार एक इन्सपैक्टर ऑफ स्कूल एक कस्बें में अचानकही किसी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंच गए. वह स्कूल के एक क्लासरूम में गए. वहां पढा रहे मास्’साब से उन्होंने पूछा कि आप इस समय बच्चों को क्या पढा रहे हैं ? मास्टर साहब ने बताया कि इनको रामायण ज्ञान कराया है, आजही समाप्त हुई हैं.

शिव शंकर गोयल
इस बात को सुनकर इन्सपैक्टर साहब बहुत खुष हुए कि चलो कही तो देष की संस्कृति की षिक्षा दी जा रही हैं और उन्होंने विद्यार्थियों की परीक्षा लेने की गरज से एक लडके से पूछा कि बताओ बेटे ! जनक का धनुष किसने तोडा ? अचानक पूछे गए प्रष्न से लडका घबडा गया और चुपचाप खडा रहा, इस पर इन्सपैक्टर साहब ने उससे पुनः पूछा कि बताओ, धनुष किसने तोडा ? इस बात पर लडका डर गया और मार पडने की भावी आषंका से बचने हेतु उसने अपना सिर दोनों हाथों में छिपा लिया -उस समय अधिकांष बच्चें ऐसे ही किया करते थे- और लगभग मिमियाते हुए उत्तर दिया कि धनुष मैंने तो नही तोडा, आप चाहे तो किसी को भी पूछलें. मैं तो जनक को जानता तक नही हंू.
इस पर इन्सपैक्टर साहब को गुस्सा आगया और उन्होंने उसी अंदाज में मास्’साब की तरफ देखातो मास्’साब ने बडी मासूमियत से जवाब दिया कि सर ! मेरे ख्यालसे भी धनुष इसने नही तोडा होगा, यहतो क्लास का सबसे षरीफ लडका हैं. यह सुनकर तो इन्सपैक्टर साहब का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह मास्’साब और लडके को लेकर हैडमास्टर के कमरे में पहुंच गए और गुस्से में ही सारी घटना उन्हें बताई.
हैडमास्टर साहब धर्म-कर्म को मानने वाले षख्स थे. तिलक छापा लगााकर स्कूल आते थे. यह सुनकर उन्होंने लडके को डांटते हुए कहा कि सच-सच बता कि धनुष किसने तोडा ? लडका अपनी बात पर अडा रहा एवं भगवान की सौगंध खाकर बोला कि धनुष मैंने नही तोडा. इस पर हैडमास्टर ने मास्’साब से कहा कि इससे गीता पर हाथ रखवाकर कहलवाओ कि धनुष मैंने नहीे तोडा ?
तब मास्टर साहब ने बताया कि सर ! गीता तो आज छुटटी पर हैं. वह स्कूल नही आई है, आप कहे तो किसी और लडकी को बुलवालूं ? इस पर हैडमास्टर साहब अपना सिर खुजलाने लगे और उधर इन्सपैक्टर साहब को काटो तो खून नही, उन्होंने हैडमास्टर साहब से कहा कि यह क्या हो रहा हैं ?
हैडमास्टर साहब बोले कि अधिकांष नेताओं की देखादेखी आजकल लडकें भी बहुत झूठ बोलने लगे हैं. नैतिकता का स्तर दिनोदिन गिरता जा रहा हैं. मां-बाप के पास बच्चों को नैतिक षिक्षा देने का समय ही नही हैं. फिर कुछ देर ठहरकर वह बोले ‘धनुष तो अब टूट ही गया, जो हुआ सो हुआ, ऐसा करते है कि इम्प्रैस्ट-सरकारी खर्च-से उसे ठीक करवा लेते है, बात आई-गई होजायेगी, किसी को पता भी नही चलेगा.
यह सब देख सुनकर इन्सपैक्टर साहब तो भुनभुनाते हुए चले गए लेकिन हैड मास्टर साहब को चैन कहां ? उनको कुछ कुछ याद आया कि एक धनुष का जिक्र रामायण में भी आया था. इस धनुष ने बडें बडें बखडें खडे किए है जाने कब इससे पिन्ड छूटेगा ?
आजकी घटना से हैडमास्टर साहब की चिन्ता बढती जा रही थी. उन्होंने जिला षिक्षा अधिकारी को फोन पर बता दिया कि सर ! ऐसी ऐसी बात हुई है और न तो क्लास के विद्यार्थी और न ही अध्यापक यह बता पाये कि धनुष किसने तोडा. इस पर जिला षिक्षा अधिकारी ने जिलाधीष को सूचित कर दिया कि कोई धनुष टूटा है लेकिन तोडने वाले का कुछ पता नही पडा है जिन्होंने तत्काल ही जिले में रैड अलर्ट घोषित कर दिया एवं समस्त षिक्षण संस्थाओं में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस का पहरा बैठा दिया गया. साथ ही इधर उन्होंने षिक्षा अधिकारी से इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट मांगली, उधर षिक्षा सचिव को भी सचिवालय में सूचित कर दिया.
उधर सचिवालय में षिक्षा सचिव एक फाइल पर ‘मोस्ट अर्जन्ट’ का फलैग लगाकर मंत्रीजी के पास पहुंचे और उन्हें किसी धनुष टूटने की खबर बताई. उन्होंने भी तत्काल पहले सीएस को एवं फिर सीएम को मोबाइल पर सूचित कर दिया जोकि उस समय दिल्ली में बडीहुकम के बंगले पर थे. सीएम ने मंत्रीजी को आदेष दिया कि आप तत्काल ‘डिजास्टर मैनेजमेन्ट’ की बैठक बुलाकर चर्चा षुरू करदे. कही यह आइएसआई अथवा लष्करे तोयबा का कारनामा न हो ?
उधर प्रिन्ट एवं इलैक्ट्ोनिक मिडिया को भी कही से खबर लग गई. वह भी सक्रिय होकर सनसनी फेैलाने लगे. पूरे सचिवालय विषेष कर गृहमंत्रालय में गहरी चिंता व्याप्त होगई. वहां कागजी घोडें, फाइलें, दौडने लगे. उसी समय एक फाइल पर गृह मंत्रालय से आई यह टिप्पणी उल्लेखनीय थी कि ‘धनुष के टूटे हुए अवषेषों का भी पता लगाया जाय जिससे यह पता लग सके कि वह कहां का बना हुआ था और उसे बनाने में किस 2 चीज का इस्तैमाल हुआ था.
विधि मंत्रालय की यह टिप्पणी भी गौर तलब थी कि त्रेतायुग की ऐसी ही घटना का केस उसी समय किसी कचहरी में अवष्य ही दायर हुआ होगा और अब वह कलियुग में तो सुनवाई के लिए लगही गया होगा, उसका भी पता किया जाय ताकि उसमें ‘केविट’, अग्रिम अर्जी, लगाई जा सके, वेैसे भी कलियुग का क्या भरोसा, जाने कब प्रलय हो जाय ? क्योंकि वैसे भी कतिपय ज्योतिषी एवं टीवी चैनल सनसनी फैलाते हुए समय समय पर प्रलय होने की घोषणा करते रहते हैं ऐसे में पता नही उस केस का क्या हश्र हो.
उधर जब स्कूल की छुटटी होगई तो बच्चें अपने अपने घर चले गए. जिस विद्यार्थी से सवाल पूछा गया था उसने घर आकर डरते 2 यह बात अपने माता-पिता को बताई. इस पर बच्चें के पिताजी ने गुस्से में आकर अपनी पत्नि से कहा कि देखा तुमने ? आजकल के मास्टर बच्चों को क्या पढा रहे हैं ? उन्हें इतना भी नही मालुम कि जनक का धनुष किसने तोडा, लाओ महाभारत, मैं अभी उसमें से देखकर बताता हूं.
और लडके की मम्मी यह बडबडाते हुए घर में महाभारत ढूंढने चलदी कि जाने किस टांड पर रखी हुई हैं ?

शिव शंकर गोयल

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