या मेरे रब, तेरी रजा के आगे मैं मजबूर

जीवनदाता ईश्वर है।वही मृत्यु का प्रदाता भी है।जब जीवन रक्षा के सारे उपाय असफल होने लगे ..जब सारी सूझ और समझ विलुप्त होने लगे..ऐसे में हमें उसी के दरवाजे पर दस्तक देनी होगी।कोरोना के इस भयावह कहर से अब हमें वही परम सत्ता बचा सकती है..आओ!हम सब प्रार्थना करे:–*
*मेरे ठाकुर!माना कि तेरे गुनहगार हैं हम।तेरी नियती को हम सभी ने पहचानने में देर की है..पर तूं तो परम दयालु है।हमें इस संकट से उबारने वाला अब तूं ही है।संकट की इस घडी तेरे और सिर्फ तेरे ही सहारे का अब हमें अंदाजा हो चुका है।आज तेरी रचाई..बसाई सृष्टि पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।तेरी संतानों को एक एक सांस के लाले पडे हैं।सर्वत्र मृत्यु का भय व्याप्त है।ऐसे संकट की घडी में हमें जीवन दान तूं और सिर्फ तूं ही दे सकता है।*
*मेरे प्रभु!तूंने सुझाया मृत्यु अवश्यम्भावी है,बाऊजूद इसके काम..क्रोध..लोभ..मद और मोह में आकंठ डूबते हम सभी ने घोर अपराध किये हैं।तूं नियामक है..सृष्टि का यह बात हमने बिसरा दी पर आज हमने तेरी रजा को जान लिया है।प्रभु..सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते।माना कि हम तेरे गुनहगार हैं पर तूं भी मान तेरी रजा के तलबगार भी तो हमीं हैं।संकट की इस घडी में हमें इतना निराश भी मत कर कि तेरे दर की घंटियां स्तब्ध हो जाय।विनती तुझी से करनी है,यह हमने बखूबी जान लिया है।आज हम सभी के आगे संकट का तूफान सीना ताने खडा है..अब जीवन की पतवार तेरे हाथ है।हमने तेरी शान के आगे जो गुनाह किया है..उस सजा को यहीं विराम दे दे मेरे ठाकुर..अपने रचाये..बसाये..बनाये संसार और प्राणी मात्र को संकट की इस घडी से उबार दे।अंत में तेरे सम्मुख तेरी सुवासित भावनाओं को ही त्राहि माम..त्राहि माम की करुण पुकार के साथ दोहरा रहा हूं…’सर्वे भवन्तु सुखिन..सर्वे सन्तु निरामया’ का आशिर्वाद दे दे।*

सर्वेश्वर शर्मा
*_संपादक*
*’कुछ अलग*
*मो.9352489097*

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