हास्य-व्यंग्य
इस समय चारों ओर फैली प्राकृतिक विपदा के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि यह सब कुछ किया-कराया तो चीन का है, यानि खाया-पीया चीन ने और हाथ हम धो रहे है. रोजाना हजारो मैसेज, ट्वीट्स. किये जा रहे है. अब हर कोई हाथ धोकर कोरोना के पीछे पडा है. मर्ज एक और दवा हजार. इस बीमारी के बचाव के लिए जब लोग-बाग साबुन से हाथ धोने में लगे हुए है उस समय एक सरकारी ऑफीसर को अपने पुराने पाप धोते हुए देखा गया.
एक जगह सावधानी के बतौर एक डाक’ साहब ने मर्ज दिखाने आए एक व्यक्ति से कहा कि साबुन से हाथ धो लेना तो बडी झुंझलाहट से उसने कहा कि डाक’साहब मैं तो पहले ही नोटबंदी की वजह से काम-धंधें से हाथ धो चुका हूं.
कुछ लोग अकसर कहा करते है कि “पैसा तो हाथ का मैल है.” इन दिनों जब फेसबुक, वाट्सअप आदि पर लाखों लोग तरह तरह के मैसेज भेज रहे है कि हाथों को दिन में कई बार धोईये तो एक ने अपनी मजबूरी बताई. सब कुछ तो छूट गया है अब इस “हाथ के मैल” को तो रहने दो.
एक स्थान पर लोगों को जब बहती गंगा में हाथ धोने को कहा गया तो जवाब मिला कि हमसे वादा किया गया था कि गंगा मैया की सफाई होगी फिर उसे पोस्ट ऑफिस वालों की मदद से सारे देश में घर घर पहुंचाया जायेगा ताकि घर बैठे गंगाजी आजायेगी तो किसी को हरिद्वार नही जाना पडेगा लेकिन अभी तो गंगा ही साफ नही हुई है. रहा सवाल पोस्ट ऑफिस वालों की मदद से लोगों के घरों तक गंगाजी पहुंचाने की बात तो बहुत सालों पहले घटी निम्न लिखित घटना के बाद लोगों को पोस्ट आफिस वालो पर भी कम ही भरोसा है. घटना यों घटी थी :-
सालों पहले एक बहुत गरीब आदमी ने अपने गांव से भगवान को चिट्ठी लिखी कि मुझें मेरी लडकी की शादी करनी है, कम से कम सौ रू. तो भिजवाओ. पोस्ट ऑफिस में आकर चिट्ठी अटक गई. जैसे तैसे वहां के कर्मचारियों द्वारा मदद के लिए 97 रू. आठ आने चंदे की रकम इकट्ठा हुई. वह रकम गांव में उसके पते पर भिजवादी गई. तीन-चार दिन बाद ही दूसरी चिट्ठी आगई. लिखा था देखा भगवान ! पोस्ट ऑफिस वाले कितने बेईमान है ? आपके भेजे सौ. रू. में से भी ढाई रू. रख लिए.
कहने का तात्पर्य यह है कि जो मौजूदा संकट आगया है उससे अब हाथ धोना ही पडेगा.
शिव शंकर गोयल