हम लड़ेंगे भी,जीतेंगे भी और विश्व की नम्बर वन शक्ति भी बनेंगे

मित्रों आज लगभग एक महीना बीत चुका है,हम सब लोग अपने घरों में कैद हैं।किसी को भी शौंक नहीं है लेकिन मजबूरी है।मौत का डर अच्छे अच्छे सूरमाओं पर चढ़ जाता है आप और हम तो इस सिस्टम के छोटे से प्यादे हैं।यहां यह कहना बिल्कुल जरूरी होगा कि जो परिस्थितियां अचानक हमारे देश के सामने आई।उसको हमने बड़ी ही बुद्धिमत्ता से फेस किया जिसका सीधा सा श्रेय हमारे प्रधानमंत्री जी को जाता है।रातोंरात पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोकर घरों के अंदर बैठा देना कोई मजाक या मैजिक नहीं है।उसके लिए उस लेवल की सोच क्रिएट करनी पड़ती है।उसको अंजाम तक पहुंचाने के लिए होम वर्क करना पड़ता है।मुझे अच्छी तरह से ध्यान है लॉक डाउन का कुछ जाहिलों ने सोशल मीडिया पर कितना विरोध किया था।उस विरोध को झेलते हुए पूरे देश को ये समझा देना की यही विकल्प है और कोई विकल्प नहीं।135 करोड़ लोगों को समझाना और फिर विश्व पटल पर ये साबित करना कि देश को बचाने का इससे बड़ा कोई विकल्प नहीं था।आज पूरा विश्व मान रहा है कि भारत गणराज्य द्वारा जो निर्णय लिया गया।वो सराहनीय है।और फिर मित्रों अब तो हर भारतीय मानने लग गया।लेकिन उस समय के हालात तो हम सबने देखे हैं।
खैर मेरे द्वारा विचारणीय मुद्दा दूसरा है आज।है इसी से संबंधित लेकिन यहां जो डिसकस करने जा रहे हैं हम लोग। *वो मुद्दा ये है कि अब हम सबको कोरोना से लड़ने के लिए एक्टिव मोड में आना पड़ेगा। *एक्टिव मोड से यहां मेरा तात्पर्य सड़क पर आने से नहीं है।उससे तात्पर्य यह है कि अब हमें इन्हीं हालातों में रहना सीखना होगा।*
आज के हालातों में देश विदेश में अभी तक इस बीमारी की दवाई नहीं बनी है।लेकिन यहां यह उल्लेख किया जाना अत्यंत आवश्यक होगा कि इस बीमारी के लक्षण,इस बीमारी की पहचान की जा सकती है और हमारे डॉक्टर्स ने ये सफलता हासिल कर ली है कि यदि किसी में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो उसको उसी जगह रोका जा सकता है।लंबे ट्रीटमेंट के बाद उसे ठीक भी किया जा सकता है।ये उपलब्धि कम नहीं है वर्तमान हालातों में।और इससे बड़ी उपलब्धि मैं ये मानता हूं कि हमें पता लग चुका है कि इस बीमारी से हम बच कैसे सकते हैं।तो मेरे आदरणीय मित्रों मेरा आप सभी से यही अनुरोध है जब तक हमारे वैज्ञानिक,हमारे डॉक्टर्स टी.टी.,खसरा जैसे टीके तैयार नहीं कर लेते तब तक हमें इन्हीं हालातों में जीना होगा।हमें अपने आपको तैयार करना होगा इन हालातों से निपटने के लिए।और कोई रास्ता नहीं है दूर दूर तक।और देखो दोस्तों ये रास्ता इतना मुश्किल भी नहीं है जितना हमने सोच लिया है।आज हम दूर क्यों जाएं। *मैं यहां रामायण में दिए गए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन वृत्तांत पर प्रकाश डाल रहा हूं।किसने सोचा था कि अयोध्या के राजपाट को हासिल करने वाले राजा रामचंद्र को एकाएक वनवास की सजा भोगनी पड़ेगी।किसको पता था कि राजा जनक की पुत्री जानकी जंगल में दर दर ठोकरें खाने को विवश हो जाएंगी।लेकिन ये सब हमारे धार्मिक ग्रंथ हमें बताते हैं।उसके बाद राजा रामचंद्र जी ने कैसे 14 साल बिताए।माथे पर कभी कोई शिकन देखी क्या आपने उनके।नहीं देखी होगी क्योंकि उन्होंने इस वनवास को अपने ऊपर हावी होने ही नहीं दिया। *हम इन हालातों से निपटने के लिए भगवान राम द्वारा अपनाए गए मार्ग पर चल सकते हैं।* *चल भी रहे हैं। आज हमारे आडम्बर, दिखावे, जंक फूड,नशे की चीजें,फोकट के खर्चे बन्द हो गए हैं। ये हमारा वनवास ही है।हम प्रकृति की ताजा हवा में सांस ले रहे हैं।पानी को छानकर,गर्म करके पी रहे हैं। खाना संतुलित खा रहे हैं।अपने बीवी बच्चों के साथ एंजॉय कर रहे हैं।मैं समझता हूं इस पूरे एपिसोड में से सिर्फ घर से बाहर नहीं निकल पाने की मजबूरी को एक तरफ रख दें तो शायद मेरी ज़िंदगी का ये सबसे गोल्डन पीरियड चल रहा है* इस व्यस्ततम जीवन में मैंने कभी इतना समय अपने परिवार को,अपने माँ बाप को,अपने बच्चों को,अपने दोस्तों को और अपने दुश्मनों को भी नहीं दिया।लेकिन आज दे पा रहा हूं क्योंकि मुझे ये बात समझ में आ चुकी है कि इन्हीं हालातों में रहना होगा।रोने से कुछ नहीं होगा* किसी नेता,किसी अधिकारी, किसी डॉक्टर,किसी व्यवस्था को कोसने से कुछ नहीं होगा।अपने आपको सेनेटाइज्ड रखो।सोशल डिस्टेंसिंग रखो।सरकार की एडवाइजरी का पालन करो।दोस्तों का ध्यान रखो।ऑनलाइन कोर्ट चल रही है तो ऑनलाइन बहस कर लो।नहीं चल रही है तो पत्रकारिता कर लो।ये भी नहीं करो तो दोस्तों से फोन पर बातें कर लो।हंसी मजाक कर लो।गेम खेल लो।चुपके से मंदिर जाया आओ। *बहुत सारे काम है दोस्तों इस माहौल में अपने आपको सरवाइव करने के लिए।और दोस्तों एक बात और कहना चाहूंगा कि आज जो आंशिक लॉक डाउन खुला है उसके पीछे हमारी सरकार का भी यही उधेश्य है कि हम अपने आपकी खुद रक्षा करें।और वापस धीरे धीरे मुख्य धारा में आएं।हमारी सरकार को हमारी सारी तकलीफें,परेशानियां पता है।थोड़ा धैर्य रखो वापस हम सब लोग मुख्य धारा में आएंगे।लेकिन अब हमें नमस्ते की आदत डालनी होगी।अब हमें साफ सफाई का ध्यान रखना होगा।अब हमें जंक फूड्स जैसी गंदी चीजों से दूर रहना होगा।* *अब हमें व्यवहारिकता भी लानी होगी जीवन में।क्योंकि इस संकट की घड़ी में वो ही आदमी खुश है जो व्यवहारिक है।जो दूसरों की मदद करता है।जिसने किसी को नमस्ते करना अपनी शान के खिलाफ समझा वो फूट फूट कर रो रहा है।उसके शौंक के साधन नहीं है उसके पास।वो बाहर घूमने नहीं जा सकता।वो अपने बच्चों से नहीं मिल पा रहा।क्योंकि बाहर तो आपको वोही मदद करेगा जिसकी कभी आपने की हो।वो ही नमस्ते करेगा।वो ही उधार देगा जिसको कभी आपने देने की कोशिश की हो* तो मेरे मित्रों बस अब हो जाओ तैयार इन हालातों से निपटने के लिए।अब हमारी पुलिस को फ्री कर दो। *अब हम अनुशासित रहेंगे तो ही ये जीवन जीवन रहेगा।नहीं तो फिर देख ही लो अमेरिका को,चाइना को,इटली को।ये सब रह गए हैं पीछे अब हमसे,हमारे हिंदुस्तान से।जब हम इस विपत्ति से निकल कर मुख्य धारा में होंगे तब ये सब हमारा अनुसरण करेंगे।हम विश्व की सर्वशक्तिमान ताकत बनकर पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बनेंगे।ये मैं आपको दावे के साथ कह सकता हूं दोस्तों।* शुभ संध्या।शुक्रिया।आपने मेरे विचारों को पढ़ा।बहुत बहुत धन्यवाद।इन विचारों को लिखने के लिए मुझे रोज कोई ना कोई दोस्त प्रेरित करता है।आज मुझे प्रेरणा मिली है मेरे बड़े भाई साहब मूलशंकर जी शर्मा से।जो डिग्गी कल्याण के महंत हैं।बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब आपका भी।

डॉ.मनोज आहूजा एडवोकेट एवं पत्रकार।9413300227

error: Content is protected !!