हर मानव के पास मकान ,
उसमें छोटी एक दुकान ।
मोल-भाव भी सबके एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
सबके घर में रोटी-दाल ,
मिला न कोई भी कंगाल ।
सुविधाओं में सारे एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
सुंदर कपड़े,सुंदर रूप ,
बच्चे सारे देव स्वरूप ।
सभी एक से बढ़कर एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
हिंदी गौरव-पद आसीन ,
सारा भारत देश प्रवीण ।
राज-काज की भाषा एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
पाक-चीन दोनों भयभीत ,
बढ़ा रहे भारत से प्रीत ।
बोल रहे हो जाएं एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
देशभक्ति का सबमें भाव ,
जन्मभूमि से दिखा लगाव ।
सारे भारतवासी एक ,
मैंने देखा सपना एक ।
– *नटवर पारीक*,डीडवाना