हास्य-व्यंग्य
मृत्यु लोक में फैल रहे कोरोना वायरस को लेकर भगवान विष्णु ने वैकुन्ठ से ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये एक महत्वपूर्ण मीटिंग आयोजित की जिसमें ब्रहमलोक से ब्रह्मा, शिवलोक से महेश, और यमलोक से चित्रगुप्त सहित धर्मराज ने भाग लिया. वही मृत्युलोक से भारत, अमेरिका, पाकिस्तान आदि देशों के प्रतिनिधियों से भी इन्टरनेट पर बात की गई. शुरू में ही यह निश्चित कर लिया गया कि सबके यहां जूम –सॉफ्टवेयर – की व्यवस्था करली गई है.
मीटिंग के शुरू में ईश्वर ने सबका स्वागत करते हुए बताया कि देव ऋषि नारद ने मृत्युलोक भ्रमण के दौरान पाया कि कोरोना का प्रारम्भ चीन से हुआ है. कई वैज्ञानिक इसका दोष चमगादडों को दे रहे है. चमगादड पूर्व जंम में निन्दक रहे लोगों की भोग योनि है. उनका कोरोना से कोई लेना-देना नही है. अजनाब खंड यानि भारत में कुछ लोग इसको रामचरितमानस के उत्तरकांड -120-से भी जोड रहे है जो कि गलत तथ्य है. कुछ लोगों का कहना है कि यह सब करा कराया चीन का है और हाथ दूसरे देशों के लोग धो रहे है. इसमें विश्व स्वास्थ् संगठन की भूमिका भी संदिग्ध है.
इसके बाद सर्व शक्तिमान प्रभु ने धर्मराज की तरफ मुखातिब होते हुए पूछा कि इस बारे में उसे क्या कहना है ? धर्मराज ने कहा प्रभु ! आपकी आज्ञानुसार हम अपना काम कर रहे है. इसमें फिलहाल तो, ऑलेम्पिक की ही तरह, अमेरिका तालिका में सबसे ऊपर है, हालांकि बढत पहले चीन ने ली थी जो वह कायम नही रख सका.
भारत के प्रतिनिधी से इन्टरनेट के माध्यम से बात की गई तो पता पडा कि लोगों को इस बीमारी की रोकथाम के लिए उठाये गए कदम रास नही आ रहे है. उनका कहना है कि हवा यानि वातावरण पहले से ज्यादा शुध्द है फिर भी सबको चेहरे पर मास्क लगाना जरूरी किया हुआ है. जबकि होना तो यह चाहिए कि जो देश में साम्प्रदायिक नफरत फैला रहे है, धोखाधडी, छल कपट कर रहे है, मौके का फायदा उठाते हुए चीजों के भाव बढा रहे है उन्हें अपना मुंह छिपाना चाहिए.
लोगों का यह भी कहना है कि पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी से लाखों लोग पहले ही अपनी नौकरी, धन्धें से हाथ धो चुके है. अब उन्हें फिर साबुन से हाथ धोने को कहा जा रहा हैं. उन्हें यह भी शिकवा है कि जब उनका कोई रिश्तेदार-संबंधी हमारे यहां ऊपर आता है तो उसे प्लेटफार्म यानि श्मशान तक पहुंचाने के लिए बीस से ज्यादा लोग नही जा सकते. ऐसे ही विवाह-शादी में भी पचास लोगों की पाबंदी होगी. यह संख्या कम प्रतीत होती है. पचास में दोनों पक्षों के आधे 2 लोग होंगे. बारात में 15-20 तो बैन्ड-बाजे, घोडी, छत्तर वालें ही हो जाते है फिर बाकी बारातियों का क्या होगा ? ऐसे में कोई फूफा, मौसा या जीजा रूठ गया तो किसकी जिम्मेवारी होगी ?
हालांकि साम्प्रदायिक वैमनस्य, कटुता फैलाने की बातों पर थूकना लाजिमी है लेकिन सरकार ने इस समय सब के लिए थूकने पर पाबंदी लगा दी है. नये हालातों में पहले ही लाखो करोडो धन्धे-पानी से हाथ धोकर घर बैठ गए है. अब सबको ही कहा जा रहा है कि घर बैठिए. उनका कहना है कि आप कह रहे है तो घर ही बैठेंगे चाहे अपने गांव जाकर या यही पर. हां अब जाकर कुछ लोग जरूर खुश हुए है कि सरकार ने वायरस की बात मानकर सोमरस को कुछ छूट दे दी है.
वार्ता के दौरान तब एक दिलचस्प स्थति पैदा होगई जब भारत के प्रतिनिधी ने पूछा हर साल की तरह मनाई जाने वाली नृसिंह चतुर्दशी इस वर्ष 6 मई को है. नृसिंहलीला में वैसे तो हर साल हरिण्यकश्यप को जान से हाथ धोना पडता है तो क्या इस साल उसका साबुन से हाथ धोने से काम चल जायेगा ? इस पर बताया गया कि हरिण्यकश्यप तो स्वयं वैकुन्ठ के दो प्रहरियों-जय-विजय-के ही अवतार है उन्हें उनकी मन की बात जानकर समझा लिया जायगा.
सभा में तब हंसी की लहर दौड गई जब बताया गया कि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने एक बार यह कहा कि एक अप्रेल तक हमारे देश में 146 आदमी खलाक होने चाहिए जबकि खलाक हुए केवल 125. इस पर खुदा ने मुस्कराते हुए कहा कि हमेशा की तरह उनको कोई गलतफहमी होगई होगी. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूछने के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधी ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
अंत में ईश्वर ने सबको धन्यवाद देते हुए मीटिंग समाप्ति की घोषणा कर दी.
शिव शंकर गोयल