हौंसले की उड़ान

बी एल सामरा “नीलम “
फिर खौफनाक अंधेरों ने मुझे डराना चाहा है !
मेरे भविष्य को नेस्तनाबूद
करने के अभियान में,
आज वे लोग भी शामिल हैं ,
जो कल तक मेरे विजय जुलूस की अग्रिम पंक्तियों में थे ।
पर मैं भाग्य या समय को
दोष न दूंगा ,
और ना ही उन क्षुद्र आत्माओं से कुछ कहूंगा ,
क्योंकि मैं जानता हूं कि इंसान माटी का पुतला है
और पुतलों से देवत्व की अभिलाषा रखना , निरा पागलपन है ।
पर ऐसा भी नहीं कि मैं यह लड़ाई हार जाऊंगा ।
मेरा संकल्प है ,मैं तूफान के उस पार जाऊंगा ।
आज कोई भी अंधेरा इतना बलशाली नहीं ,
जो रोशनी से लड़ सके ।
इसलिए तिमिर के तमाम साथियों,
मुझसे आंख लड़ाने का दुस्साहस मत करो ।
सत्य सनातन सत्य है ,
परमात्मा से डरो ,
अपनी मौत मत वरो ।
मेरे साथ आओ,
उजाला फैलाओ ।
अपने कर्मठ वर्तमान से ,
उज्जवल भविष्य बनाओ ।
*यही मेरी अभिलाषा है !*

* सुरेंद्र नीलम /
*बी एल सामरा नीलम*
पूर्व प्रबन्ध सम्पादक
कल्पतरू हिन्दी साप्ताहिक एवं सह संपादक
मगरे की आवाज पाक्षिक

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