खुशहाल जिन्दगी का रहस्य हंसना मुस्कराना हंसे और हंसाये part 8

बिना आवाज से की जाने वाली हँसी का महत्त्व

dr. j k garg
मुस्कराहट तभी आकर्षक लगती है, जब वह होठों के साथ-साथ आंखों से भी नजर आये। मुस्कुराहट से अच्छा दूसरा तोहफा और दवा प्रायः हमारे पास नहीं होती। हँसना मानवीय स्वभाव है | मानव ही एक मात्र ऐसा प्राणी है, जिसमें हंसने की अपार क्षमता होती है। जो व्यक्ति अकेले या भीड़ में खुलकर हँसने का साहस न जुटा सकें, उन्हें मुंह बंद कर मन ही मन में जितनी लम्बी देर एक ही श्वास में हँस सकें, बिना आवाज निकाले हँसना चाहिए। जिससे ऐसी हँसी से प्राणायाम का भी लाभ भी उसे स्वतःही मिल जाता है। प्रदूषण रहित स्वच्छ एवं खुले प्राणवायु वाले वातावरण में प्रातःकाल उदित सूर्य के सामने हँसना अपेक्षाकृत अधिक लाभप्रद होता है क्योंकि हास्य क्रिया के साथ-साथ सौर-ऊर्जा एवं आँक्सीजन अधिक मात्रा में सहज प्राप्त हो जाते हैं।

डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—–डॉ टी एस दराल, चंचल मल चोर्डिया, मेरी डायरी के पन्ने, विभिन पत्र पत्रिकाएँ

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