मंत्र को गुप्त रूप से फुसफुसा कर क्यों दिया जाता है ? यदि मंत्र खुले तरीके से दिया जाय तो क्या मंत्र की शक्ति कम हो जाती है ?
मनोवैज्ञान अनुसार यदि आप के मस्तिष्क में कोई ऐसी बात है जो आपको परेशान कर रही है तो उसे कह डालें । उसे आप कह कर बाहर निकाल दें तब आप उससे मुक्त हो जाएंगे । परन्तु ध्यान साधना पूजा अन्तर्गत जपने वाले मंत्र अथवा गुरु दीक्षा में प्राप्त मन्त्र को सदैवअपने मन के भीतर गुप्त ही रखना है । उसे सार्वजनिक न जपे ना सबके सामने व्यक्त नहीं करना है । हमें उस मंत्र को अपने अन्दर स्थापित करके अंतरमन की गहराई में ले जाना है । अतः मंत्र को और गहराई में ले जाने के लिए ऐसे मंत्र की आवश्यकता होती है जो प्रभाव शाली हो साधना क्षेत्र में विभिन्न अनुभूतियां दिलाने वाली गुप्त कुंजिका हो । ओर ऐसे मन्त्र सिर्फ सद्गुरु के माध्यम से प्राप्त हो सकता ह जिसे आप व्यक्त नहीं कर सकते । इसलिए गुरु द्वारा शिष्य के कान में उत्तम मुहूर्त में गुप्त तरीके से मंत्र फूंक दिया जाता है । गुप्त रूप से बताई बात आपकी अन्तरविवेक शीलता में रहती है। अतः मंत्र हमें अन्तरविवेकशीलता तक पहुँचाता है। इसलिए इसे गुप्त रूप से देने की परम्परा रही ह । जो मंत्र दिया जाता है शायद वह एक ज्ञात मंत्र ही हो किन्तु जो मंत्र आपको आपके गुरु द्वारा दिया जाता ह है उसे गुप्त रखना चाहिए, जिससे आप ध्यान की गहराई तक पहुँच सकें। यह बहुत बड़ा वैज्ञानिक सत्य है, यह विचार पुरातन और वैज्ञानिक भी है। कुछ महामंत्र होते हैं जिनका सब लोग जोर से सामूहिक रूप से बोल कर उच्चारण कर सकते हैं किन्तु गुरु प्रदत्त मंत्र को सदैव गुप्त रखना चाहिए। वही सहज मंत्र आपको ” सहज समाधि ध्यान की ओर ले जाता ह। गुरु के द्वारा ही गुरु मंत्र और ध्यान प्रशिक्षण में दिया जाता है। उसे आपको अपने तक ही सीमित रखना होता है। उसे किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बताना होता है जैसे दूसरे सर्वाधिक प्रचलित महा मंत्र जैसे ” ऊँ नमः शिवाय ” “सीताराम” “राम राम” जय श्री कृष्ण,राधे राधे और ॐ का उच्चारण सबके साथ ऊँची आवाज में कर सकते हैं , इन मन्त्रों को जोर से सामुहिक रूप से बोलने से मन्त्र से उतपन्न ध्वनि तरंगो से सारे वातावरण को शुद्ध बना कर ईश्वरमय ओर सकारात्मकता की ओर प्रवाह करती हैं । यही ह मन्त्रो की महत्ता!!!
जय माताजी की🙏💐🙏💐🙏💐
एस्ट्रो ज्योति दाधीच तीर्थराज पुष्कर ,राजस्थान।