फर्जी/अपराधिक प्रवृति पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही

गोपालसिंह लबाना
फर्जी/अपराधिक प्रवृति के मानसिकता वाले लोगों का पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश मैं समझता हूं लगभग तीन दशक पहले शुरू हुआ, तब इसे रोकने के लिये सरकार ने नियम कायदे बनाना शुरू कर दिये थे, पहले कोई भी व्यक्ति अखबार निलाने के लिये आर.एन.आई. से टाइटल जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से आसानी से स्वीकृत करा लेता था, जब अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के प्रवेश का अहसास हुआ तो आर.एन.आई. (रजिस्ट्रार आफ न्यूज पेपर, भारत सरकार ) ने इसे रोकने के लिये शीर्षक चाहने वाले व्यक्ति की पुलिस वैरीफिकेश को आवश्यक किया। बाद में पुलिस वैरीफिकेश के साथ शीर्षक चाहने वाले के लिये शिक्षा स्नातक होना आवश्यक कर दिया, और अब इसमें इज्जाफा करते हुऐ पत्रकारिता का पांच साल का अनुभव होना भी लाजिमी कर दिया। इसके पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य रहा कि किस प्रकार फर्जी/अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को पत्रकारिता से दूर रखा जाये।

समय के साथ सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, ने जैसे जैसे पांव पसारे वैसे वैसे मोबाइल चलाने वाला भी उपर उल्लेखित नियम कायदों को लांधकर यूट्यूब चैनल का पत्रकार/चैनल मालिक बन गये। वर्तमान में ऐसे चैनल कितने हैं उनकी गिनती सरकार पास भी नहीं होगी।

विनीता शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सी. आई. डी. (सी.बी.) राजस्थान, जयपुर ने 08-06-2020 को पत्र जारी कर महानिरीक्षक पुलिस, बीकानेर रेंज, बीकानेर व पूलिस अधीक्षक जिला चुरू, हनुमान गढ, श्रीगंगानगर व बीकानेर को पत्र जारी कर आदेश दिये है कि पत्रकारिता की आड़ में सक्रीय अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये है। वास्तविक स्थिति में विनीता शर्मा जी के आदेश काफी महत्वपूर्ण है, जांच होनी चाहिये, इसके साथ समय आ गया है कि अब जो अखबार या इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के मालिक हैं वे भी जब किसी को पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने साथ जोडें तो उन्हे भी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की पुलिस वैरीफिकेश करा लेंगी चाहिए , यह पुलिस वैरीफिकेश उस नये पत्रकार को भविष्य में उक्त उल्लेखित सरकारी नियम-कायदों के तहत भी काम आऐगी। इसकी शुरुआत मैं स्वम भी आने वाले समय में अवश्य करना चाहूँग।

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