जनसेवा को प्राथमिकता : आहत को राहत

-डॉ. लोकनाथ सोनी-
जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के राजस्थान के चहुंमुखी विकास के सपने को साकार रूप देने के लिए राज्य सरकार ने समाज के कमजोर, पिछड़े, गरीब और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक कल्याण के लिए विभिन्न लोक मंगलकारी योजनाओं का समयबद्घता और वचनबद्घता के साथ क्रियान्वयन कर नए राजस्थान के निर्माण की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं। इन योजनाओं के माध्यम से आम आदमी विशेषकर गरीब वर्ग को इन योजनाओं का त्वरित लाभ मिला है और लोगों में सरकार के प्रति आस्था और विश्वास की भावना बढ़ी है।
वर्तमान राज्य सरकार ने अपने कार्यकाल के चार वर्षों में सही मायने में जन आकांक्षाओं एवं आशाओं के अनुरूप कार्य करने को अपनी पहली प्राथमिकता समझा। श्री गहलोत ने चार वर्ष पूर्व सत्ता संभालते ही अपने वायदे के अनुरूप कार्य शुरू किया और जन कसौटी पर खरे उतरे हैं। उन्होंने जनकल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और लोकतांत्रिक परम्पराओं का निर्वहन करते हुए सामाजिक सरोकारों को मजबूती प्रदान की। सीधे, सहज, सरल और सच्चे स्वभाव के धनी और मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण श्री गहलोत ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की अवधारणा को मूर्त रूप देते हुए अनेक क्रांतिकारी और नीतिगत फैसले लेते हुए प्रदेश के विकास के ठोस एवं कारगर प्रयास किए हैं। इसके साथ ही नवाचारों को अपनाकर उन्होंने सरकार की दिशा को जनसेवा की भावना के साथ गति प्रदान की।
इस अवधि में राज्य सरकार ने विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं के माध्यम से आहत को राहत देने का सफल प्रयास किया है। आज राजस्थान की फ्लैगशिप योजनाओं को देश भर में सराहा जा रहा है और अनेक राज्यों ने प्रदेश के मॉडल को अपनाते हुए अपने यहां इन योजनाओं को लागू करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने फ्लैगशिप योजनाओं के अन्तर्गत मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण बी.पी.एल. आवास योजना, अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी-2009, मुख्यमंत्री शहरी बी.पी.एल. आवास योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना, राजस्थान जननी-शिशु सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष योजना, राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम-2011, राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012, मुख्यमंत्री पशुधन नि:शुल्क दवा योजना एवं काश्तकारों को समय समय पर ऋण चुकाने पर ब्याज मुक्ति योजना को लागू किया है।
राज्य सरकार प्रदेश में आधारभूत संरचना के विकास के साथ अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति बचनबद्घ है और इस क्षेत्र में अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर प्रदेश के उत्थान में जुटी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गरीब की सेवा के सपने को सार्थक बनाने की दिशा में प्रदेश में सुशासन स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री मुस्तैदी से जुटे हुए हैं।
राज्य सरकार ने नागरिकों की खाद्य सुरक्षा, जीवन स्तर को बेहतर बनाने एवं आमजन को महंगाई से राहत देने के लिए 27 हजार 500 करोड़ रुपए की राहत प्रदान की हैै।
मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना के जरिए प्रदेश में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 38.83 लाख परिवारों को (एएवाई सहित) 2 रुपए किलो की दर से 25 किलो गेहूं प्रतिमाह उपलब्ध कराया जा रहा है। योजनान्तर्गत प्रतिवर्ष 350 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना में 10 लाख ग्रामीण बीपीएल परिवारों को आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्तमान में 2 लाख 72 हजार 165 आवासों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी-2009 के अन्तर्गत आर्थिक दृष्टि से कमजोर व अल्प आय वर्ग के लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए पीपीपी के माध्यम से कम लागत पर 5 लाख आवासों का निर्माण कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री शहरी बीपीएल आवास योजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष एक लाख गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस हेतु प्रति वर्ष 500 करोड़ रुपए का ऋण लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के अन्तर्गत 14 हजार 737 राजकीय चिकित्सा संस्थाओं के दवा वितरण केन्द्रों के माध्यम से 400 तरह की दवाइयां एवं आवश्यक सर्जिकल आइटम्स नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह योजना जनता में अत्यधिक लोकप्रिय हुई है। इससे प्रदेश के सभी वर्गों के लोगों के एक वर्ष में 1591.89 करोड़ रुपए की शुद्घ बचत हुई।
राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा योजना में गत वर्ष 9 लाख 2 हजार 973 महिलाएं एवं 2 लाख 62 हजार 166 नवजात शिशुओं को लाभान्वित किया गया। योजना में सभी प्रकार की नि:शुल्क सेवाएं एवं परिवहन उपलब्ध कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के अन्तर्गत गरीब परिवारों को नि:शुल्क जांच एवं इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने एक जनवरी, 2009 से राज्य में यह योजना प्रारम्भ की। कोष के तहत एक जनवरी, 2009 से अब तक कुल 1.36 करोड़ निर्धनतम मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा प्रदान की गई। जिस पर कुल 141 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं।
राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम के तहत आम जनता से जुड़े 18 विभागों की 153 सेवाओं के गत एक वर्ष में एक लाख से अधिक प्रकरणों का निस्तारण किया गया।
राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम-2012 लागू कर देश में पहली बार राज्य में जनता को कानून बनाकर सुनवाई का अधिकार दिया गया है। इस अधिकार के तहत गत तीन माह में 2823 प्रकरण निस्तारित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री पशुधन नि:शुल्क दवा योजना 15 अगस्त, 2012 से लागू की गई है। योजनान्तर्गत वार्षिक 60 करोड़ रुपए का प्रावधान कर 5.67 करोड़ पशुधन की चिकित्सा हेतु सर्वाधिक उपयोग में आने वाली आवश्यक दवाइयां सुलभ कराई जा रही है।
काश्तकारों को समय पर ऋण चुकाने पर ब्याज मुक्ति योजना एक अप्रेल, 2012 से प्रदेश में पहली बार लागू की गई है। योजनान्तर्गत एक लाख रुपए तक के अल्पकालीन फसली ऋण को समय पर चुकाने पर किसानों का ब्याज पूर्ण रूप से माफ किया जा रहा है।
सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग उत्तर मैट्रिक छात्रवृति योजना के तहत 96147.08 लाख रुपए व्यय कर 17 लाख 21 हजार 375 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया। विशेष पिछड़े वर्ग हेतु देवनारायण योजनान्तर्गत पैकेज घोषित किया है। विशेष योग्यजन हेतु अलग से निदेशालय स्थापित कर अभियान चलाकर 2.94 लाख विशेष योग्यजनों को प्रमाण पत्र प्रदान कर विभिन्न सुविधाएं प्रदान की गई। 75 वर्ष से अधिक आयु के वृद्घ, विशेष योग्यजन एवं विधवाओं के लिए मासिक पेंशन 400 से बढ़ाकर 750 रुपए एवं दम्पत्ति के लिए 1 हजार 500 रुपए की गई। पेंशन योजना पर प्रतिवर्ष 810 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक के भरण पोषण नियम लागू कर वरिष्ठ नागरिकों की संरक्षा एवं संरक्षण के ठोस उपाय किए जा रहे हैं।
अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए अलग से विभाग का गठन कर विभिन्न योजनाओं को तेजी से लागू किया गया। मुख्यमंत्री मदरसा आधुनिक योजना लागू कर 10 करोड़ का प्रावधान किया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के 2 लाख 27 हजार 180 विद्यार्थियों को प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक एवं मैरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति प्रदान की गई। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में 10 स्थानों पर राजकीय आईटीआई शुरू की गई। एक लाख रुपए से कम वार्षिक आय वर्ग के विद्यार्थियों के आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर अधिकत्तम एक लाख रुपए प्रतिवर्ष का पुनर्भरण किया जाएगा।
प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले को रतलाम तक रेल सेवा से जोडऩे के लिए 2 हजार 83 करोड़ की रेल परियोजना में राज्य सरकार बराबर की भागीदार है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी दिल्ली मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर परियोजना का 40 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा। इससे आने वाले समय में प्रदेश में नए उद्योगों और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस अवधि में 32 हजार से अधिक आदिवासियों को वन अधिकार पत्र प्रदान किए गए।
महिला सशक्तीकरण हेतु स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम के अन्तर्गत दो लाख 30 हजार 315 समूहों का गठन कर एक लाख 86 हजार 986 समूहों को 555.13 करोड़ रुपए के ऋण दिलवाए जा चुके हैं। महिला सशक्तीकरण हेतु सात सूत्रीय कार्यक्रम को लागू कर 35 हजार 279 बीपीएल महिलाओं को पुत्रियों के विवाह हेतु 38.34 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया। अल्पसंख्यक वर्ग की महिला उद्यमी को समय पर ऋण चुकाने पर शत-प्रतिशत ब्याज की छूट प्रदान की गई है। प्रदेश में 9 हजार 232 आंगनबाडिय़ों को विद्यालय में स्थानान्तरित किया गया है। राज्य की समस्त सेवाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित 30 प्रतिशत कोटे के अन्दर विधवा के लिए 8 प्रतिशत एवं परित्यक्ता के लिए 2 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। नगर निकायों में निर्वाचित समस्त पदों पर सभी वर्ग की महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया।
खरीफ 2010 से राज्य के सभी जिलों में मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की गई जिसके तहत 83 लाख किसानों को 2 हजार 740 करोड़ रुपए का बीमा भुगतान किया गया जिसमें राज्य के अंश के रूप में 1 हजार 360 करोड़ रुपए शामिल हैं। इसके अलावा 53 लाख लघु, सीमान्त एवं पात्र कृषकों को 857 करोड़ रुपए की आदान सहायता दी गई। गत वर्ष राजस्थान को दलहनी फसलों के रिकार्ड उत्पादन के लिए भारत सरकार ने एक करोड़ रुपए का पुरस्कार प्रदान किया। राज्य में पानी की बचत को दृष्टिगत रख सूक्ष्म सिंचाई योजना (ड्रिप एवं फव्वारा) अन्तर्गत 11.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई। किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए किसान आयोग का गठन किया गया।
वर्तमान सरकार के गठन के बाद अब तक जल संसाधान विभाग विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं पर 2 हजार 629 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इस अवधि में ही 44 लघु सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करवा कर 1 लाख 86 हजार 460 हैक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई। राज्य में बेहतर जल प्रबंधन का ही सुखद परिणाम है कि जैसलमेर में इंदिरा गांधी नहर के अंतिम छोर तक किसानों को सिंचाई के लिए सहज रूप से पानी उपलब्ध हो पा रहा है।
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को प्रारम्भिक शिक्षा,चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, कृषि, महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जैसे पांच महत्वपूर्ण विभाग सौंप दिये हैं। विभागों की जिला स्तरीय गतिविधियां पंचायतीराज संस्थाओं को हस्तान्तरित कर दी गई हैं। पंचायतीराज संस्थाओं की मजबूती के लिए उठाये गये इन कदमों के फलस्वरूप वर्ष 2010-11 में भारत सरकार ने राजस्थान को प्रथम पुरस्कार के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये नकद तथा प्रशंसा-पत्र देकर सम्मानित किया है।
नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम को लागू करने में राजस्थान देश में अग्रणी रहा है। गत वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 9 व 10 में अध्ययनरत 1.41 लाख छात्राओं को साईकिल दी गई। इस वर्ष कक्षा 9 में पढऩे वाली 86 हजार 931 छात्राओं को साइकिलों का वितरण किया जा रहा है। उच्च शिक्षा के विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए आठ नए विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। गत चार वर्षों में राज्य में निजी क्षेत्र में 33 नए विश्वविद्यालय एवं 652 महाविद्यालय खोलकर युवाशक्ति को आगे बढऩे के अवसर दिए गए है। राज्य सरकार के तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के बहुआयामी प्रयासों के फलस्वरूप भारत सरकार ने जोधपुर में आईआईटी, एम्स व निफ्ट, उदयपुर में आईआईएम, अजमेर में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बीकानेर में पशुधन विश्वविद्यालय तथ कोटा में आईआईआईटी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राज्य में अब तक एक लाख 36 हजार 289 पदों पर शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है। इस वर्ष के बजट में एक लाख से अधिक पदों पर भर्ती का प्रावधान किया गया है।
पंचायतीराज संस्थाओं को सुदृढ़ किये जाने के फलस्वरूप गत चार वर्षों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की गई हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 84 हजार 333 आवासहीन गरीब परिवारों को रियायती दर पर आवासीय भूखण्ड एवं एक लाख 53 हजार 720 बी.पी.एल. परिवारों को नि:शुल्क आवासीय भूखण्ड आवंटित किये गये हैं। इसी प्रकार 3 लाख 21 हजार 593 पुराने आवासीय भवनों तथा 60 हजार 228 मकानों के नियमितीकरण कर पट्टे जारी किये गये।
राज्य के तेरह जिलों में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत दिसम्बर, 2008 से सितम्बर, 2012 तक भारत सरकार से प्राप्त 987.35 करोड़ रुपये की राशि जिलों को हस्तान्तरित की जा चुकी है। इस राशि में से 873.43 करोड़ रुपये की राशि जिलों द्वारा खर्च कर 30 हजार 934 कार्य पूर्ण करवाये गये हैं। इसी प्रकार निर्बन्ध राशि योजना के तहत दिसम्बर, 2008 से लेकर अब तक 4 हजार 900 लाख रुपये की अनुदान राशि पंचायतीराज संस्थाओं को हस्तान्तरित की गई एवं जिलों द्वारा उपलब्ध राशि में से 2857.90 लाख रुपये की राशि व्यय कर 1363 कार्य पूर्ण करवाये गये। पंचायतराज संस्थाओं के सशक्तीकरण के लिए राज्य वित्त आयोग ने आर्थिक संसाधन 460 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 980 करोड़ रुपए किए हैं।
इसी प्रकार स्वर्ण जयन्ती ग्रामस्वरोजगार योजना के तहत 2 लाख 44 हजार 800 गरीब लोगों को लाभान्वित किया गया जिनमें एक लाख 72 हजार 271 महिलाएं हैं। इंदिरा आवास योजना में दिसम्बर, 2008 से अक्टूबर, 2012 तक कुल 1638.85 करोड़ रुपये व्यय किये गये तथा गरीब परिवारों के लिए 3 लाख 36 हजार 85 नये आवास बनाये गये हैं।
राज्य की 248 पंचायत समिति एवं 9 हजार 8 ग्राम पंचायतों में राजीव गांधी भारत निर्माण सेवा केन्द्र बनाएं गए। मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम में 17 करोड़ रुपए की लागत के 555, मगरा क्षेत्र में 19 करोड़ रुपए की लागत के 581, डांग क्षेत्र में 19 करोड़ रुपए की लागत के 416 एवं सीमान्त विकास कार्यक्रम में 352 करोड़ रुपए की लागत के 4 हजार 92 जनकल्याणकारी कार्य पूरे कराए गए। इसके अलावा पंचायतीराज विभाग में 23 हजार नियमित पद सृजित कर उनकी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई।
प्रदेश के नगरीय निकायों में तीस हजार सफाई कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जयपुर में 840 करोड़ रुपए के लागत की 47 किलोमीटर लम्बी रिंग रोड का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। साथ ही 150 करोड़ की लागत की घाट की गुणी सुरंग परियोजना का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो गया है। जयपुर में 35 किलोमीटर लम्बी 9 हजार 730 करोड़ रुपए के लागत की जयपुर मैट्रो का प्रथम चरण का 65 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके चालू होने के बाद जयपुर का विश्वस्तरीय शहर बनने का सपना पूरा हो जायगा। राज्य में नवम्बर 2012 से प्रशासन शहरों के संग शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रकार के आयोजनों से जहां एक ओर आम नागरिकों की समस्याओं का मौके पर ही आसानी से समाधान हो जाता है, वहीं नगरीय निकायों को भी धन उपलब्ध होता है।
प्रदेश में नई औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन योजना लागू होने के बाद 728 निवेशकों द्वारा 23 हजार 975 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश हुआ है। इन्हें राजकोष से 173 करोड़ रुपए की अनुदान सहायता उपलब्ध कराई गई। सिंगल विन्डो एक्ट के अन्तर्गत 36 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। पिछले चार वर्षों में विभिन्न उद्यमों में 8 हजार 656 करोड़़ के पूंजी निवेश के साथ 3 लाख 53 हजार 395 लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त हुआ।
विद्युत विकास की कुंजी है। राज्य सरकार की यह प्राथमिकता रही है कि उद्योग, कल कारखानों, खेत-खलिहानों और घरों में विद्युत निर्बाध रूप से उपलब्ध रहे। प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत राज्य के विकास का सूचकांक है। यह गत चार सालों में 24.63 प्रतिशत बढ़कर 590 से 736 यूनिट हो गई। गत चार सालों में 3 हजार 954 मेगावाट उत्पादन क्षमता में वृद्घि हुई है। राज्य में पहली बार 2ग660 मेगावाट के 6 सुपर क्रीटिकल तापीय विद्युत गृहों की स्वीकृति दी गई है। पवन ऊर्जा में 1561 मेगावाट और सौर ऊर्जा में 201 मेगावाट की वृद्घि हुई। देश में कुल स्वीकृत 1100 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से सर्वाधिक 915 मेगावाट की 78 परियोजनाएं राजस्थान में स्थापित की जा रही है। जो राष्ट्रीय स्तर की लगभग 80 प्रतिशत है। गैर परम्परागत स्रोतों से उत्पादन क्षमता में 1822 मेगावाट की वृद्घि दर्ज की गई। राज्य में विद्युत तंत्र के सुदृढ़ीकरण के तहत गत चार सालों में 33 केवी के 1131 सब स्टेशनों का निर्माण कर गुणवत्तापूर्ण बिजली प्रदान की गई। आधुनिक 765 केवी के दो जीएसएस का निर्माण भी शीघ्र पूरा हो जाएगा। आलोच्य अवधि में 14 लाख 97 हजार 249 ग्रामीण घरेलू कनेक्शन दिए गए। दो लाख 34 हजार 675 कृषि कनेक्शन जारी किए गए। राज्य सरकार ने अपना वादा निभाते हुए गत चार सालों में कृषि के क्षेत्र में विद्युत दरों में कोई वृद्घि नहीं की। इस हेतु सरकार द्वारा बिजली कम्पनियों को 4 हजार 396 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों के लिए बिजली की दरों में वृद्घि नहीं किए जाने की एवज में किया जा रहा है।
राज्य के बाड़मेर-सांचोर बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र एवं भाग्यम् फील्ड से खनिज तेल का उत्पादन शुरू हो चुका है। खनिज तेल के उत्पादन से अब तक 8 हजार 347 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति राज्य सरकार को हुई है। इससे सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है तथा इसी के फलस्वरूप विकास योजनाओं का आकार लगातार बढ़ाया जा रहा है।
राज्य के खनिज सम्पदा के बेहतर प्रबंधन के साथ इसका दोहन करने के लिए सरकार ने जनवरी 2011 में नई खनन नीति की घोषणा की थी। दिसम्बर, 2008 से अब तक 7 हजार 821 करोड़़ रुपए का खनिज राजस्व प्राप्त किया गया तथा अवैध खनन एवं निर्गमन की चैकिंग से 2212.12 लाख रुपए की वसूली की गई। इस अवधि के दौरान 3 लाख से अधिक लंबित खनन पट्टा आवेदन पत्रों का निस्तारण किया।
प्रदेश में परिवहन से वंचित 487 पंचायतों को मुख्य मार्गों से जोड़ा गया। साठ वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को बस किराए में 30 प्रतिशत की छूट दी गई।
राज्य सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों से 13 दिसंबर 2008 से 31 अक्टूबर 2012 तक पिछले चार सालों के दौरान राज्य में 49 लाख 30 हजार विदेशी पर्यटक आए जबकि इस अवधि में राजस्थान आने वाले देशी पर्यटकों की तादाद 10 करोड़ 50 लाख 67 हजार रही। इन आंकड़ों से साफ है कि मौजूदा सरकार के चार साल के कार्यकाल में विदेशी पर्यटकों की तादाद में लगभग 7 लाख सैलानियों की वृद्घि हुई है और देशी पर्यटकों की संख्या दो करोड़ 60 लाख से अधिक बढ़ी है। चार साल के दौरान प्रदेश में पर्यटन विकास पर 10983 लाख 20 हजार रुपए व्यय किए गए हैं इस तरह ढाई हजार लाख रुपए से ज्यादा की राशि मौजूदा सरकार ने पर्यटन विकास पर व्यय की है।
प्रदेश में सड़कों के विकास पर 9585.52 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2 हजार 442 किलोमीटर लम्बाई में सड़कों का निर्माण कर 250 व इससे अधिक आबादी के 663 गांवों व 35 बसावटों (ढाणियों/मजरों) को डामर की सड़कों से जोड़ा गया है। प्रदेश की 2 हजार 631 कि.मी. लम्बाई की सड़कों को 3 हजार 590 करोड़ रुपये की लागत से 16 मेगा हाइवे के सड़कों के रूप में विकसित किया जा रहा है।
वर्ष 2011-12 में प्रारम्भ मिसिंग लिंक परियोजना के विरुद्घ 748 कि.मी. लम्बाई में कार्य पूर्ण कर लिया गया है। धार्मिक सड़क योजना 2011-12 के तहत 931 किलोमीटर लम्बाई में सड़कों का निर्माण कर 512 धार्मिक स्थलों को सड़कों से जोड़ दिया गया है। भारत सरकार ने राज्य के विभिन्न भागों में 1 हजार 265 रेलवे अण्डर ब्रिज के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की है। इसके अलावा 1 हजार 609 किलोमीटर लम्बाई के 9 नवीन राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए गए हैं। प्रदेश में इस वर्ष मानसून में क्षतिग्रस्त सड़कों के पैच रिपेयर के लिए 300 करोड़ रुपए स्वीकृत कर कार्य शुरू करवाए गए।
प्रदेश में विभिन्न पेयजल योजनाओं पर आधारित 222 शहर एवं कस्बों तथा 40 हजार से अधिक गांव एवं ढ़ाणियों में नियमित पेयजल आपूर्ति बनाये रखने के साथ पिछले चार वर्ष की अल्प अवधि में पेयजल समस्याग्रस्त 31 हजार 771 गांव व ढ़ाणियों को शुद्घ पेयजल से लाभान्वित किया साथ ही 7 हजार 322 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की बस्तियों को शुद्घ पेयजल योजनाओं से जोड़ा गया।
राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुये अनुसूचित जाति एवं जनजाति की बस्तियों में स्थापित पेयजल स्रोत पर विद्युत बिल की राशि सरकार द्वारा ही वहन करने का निर्णय लिया। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा 7 हजार अनुसूचित जाति की बस्तियों को शुद्घ पेयजल सुलभ कराने का निर्णय लिया जिसके अन्तर्गत अब तक 36 करोड़ रुपये से अधिक की राशि व्यय कर एक हजार 774 बस्तियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

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