यादों के झरोखे से —-आज से 58 साल पूर्व के मेरे संस्मरण

dr. j k garg
1962 के चीन के आक्रमण समय में मात्र 19 वर्ष का नवयुवक था और ब्यावर के राजकीय सनातन धर्म महाविद्यालय में अंतिम वर्ष स्नातक विज्ञानं का छात्र था | विस्तारवादी चीन के आक्रमण से मै बहुत आहत हुआ, देश के लिए कुछ विशेष करने की मेरे मन में प्रबल इच्छा थी. ऐसे वातावरण मे मैंने अपने देश के प्रति अपने उद्गारो को पत्र के माध्यम से प्रकट किये है.जब मैंने यह पत्र लिखा था तब मै मात्र 19 वर्ष का था. मै विज्ञान का विद्यार्थी था. मैंने कभी हिंदी का अलग से अध्ययन नहीं किया था.

ब्यावर

2nd Nov. 1962

प्रेषक——–

जुगल किशोर गर्ग,

B.Sc ( Final).

प्रेषित—–

महामहिम प्रधानाचार्य,

सनातन महाविद्यालय, Beawar

विषय——आक्रांता चीन के बेशर्म आक्रमण का सामना करने एव जन जागृति उत्पन करने हेतु सुझाव .

मान्यवर,

मुझे गोरव है की मैं भारतीय हू,मुझे अभिमान है इस बात का की मेरा जन्म,राम,कृष्ण,बुद्ध और गाँधी के शांति प्रिय देश मै हुआ है. यद्पि प्रत्येक भारतीय शांतिप्रिय एव विश्व शांति का हामी है,किन्तु जब कोई देश हमारी और कुद्रस्थी से देखता है तौ हमारी आँखों से निकलने वाली चिन्करीया उस बे शर्म आक्रामक को भस्मसात करके रख देती है. ऐसी ही गति ईन विशवाषघाती चीन के देत्यो की भी होगी, इसमे कोई संदेह नहीं है.

१. यह एक तथ्य है की “voice of the People is the voice of the GOD”. मैं हर्देय से चाहता हू की जन सभाओ मै प्रत्येक व्यत्ती सार्वजनिक प्रत्यिगा करे की “ जब तक हम चीनीयो को भारत की एक एक इंच भूमि से बाहर नहीं निकाल देंगे , चैन की स्वास नहीं लेंगे, चीनीयो को खून का बदला खून से देंगे”. तथा इस के बाद वह इस पत्र पर हस्ताशर करे और इन की प्रतिलिप्या (१) भारत सरकार, नई देहली, (२) U.N.O. कार्यालय, (३) चीनी दूतावास , नई देहली को भेजी जाय.

मुझे विश्वास है की इस अदभुत प्रत्यिगा आन्दोलन से हम भारत वासीयो मै राष्ट्रीयता की भावना इतनी बलवती हो जायगी की विश्व का जनमत स्वत ही हमे मदद देना चाहेगा,वहां चीनयो कों भी यह ज्ञात हो जायगा की ४४ करोड़ भारीत्यो से लोहा लेना उनके सामर्थ्य से बाहर है.

मुझे अत्यधिक प्रसन्ता होगी यदि इस हस्ताशर आन्दोलन का शुभारंभ आज की

आवश्यक सभा से ही किया जाये. आप हम सभी छात्रों को निर्देश दे की इस राष्ट्रीय संकट के समय हमे क्या करना चाहिये.

जैसे आप स्वयँ जानते है की सैन्य सामग्री के लिए हमे सोना और विदेशी मुद्रा चाहिये, इस के लिए निम्न उपाय वांछित दिखाई देते है.

१. प्रत्येक छात्र से यह अपील की जाए की वह अपने जेब खर्च का ५०% राष्ट्रीय रक्षा कौष मै दे, तथा वे इस पुण्य कार्य को जब तक जारी रखे जब तक की आक्रेंता हमारी पुण्य भूमि से पीछे न हट जाए.

२. प्रत्येक प्राध्यापग से विनीत शब्सदों मै प्राथेना की जाये की इस घोर संकट की घडी मै अपनी आय का १०% राष्ट्रीय रक्षा कौष मै दान करे.

३. प्रतिभाशाली एव राज्य सरकार से छात्रवर्ती प्राप्त करने वाले शोभ्यगशाली छात्रों का भी यह पुनीत कर्तव्य है की वे अपनी प्राप्त छात्रवर्ती का कम से कम २५% राष्ट्रीय रक्षा कौष मै दान देकर दूसरे विधालयो के सामने एक आदर्श रखे.

४. मेरी यह मजबूत धारणा है की प्रभु की प्रार्थना मै एक विशेष शक्ति होती है, अगर आप उचित समझे तो आज मध्यान १२ बजे से ही १० मिनट के लिए प्रत्येक छात्र एव अध्यापक अपनी क्लास मै ही प्रार्थना कर राष्ट्रीय सर्मीद्धि की कामना करे.

५. हमारा गोरवमयी इतिहास चिल्ला चिल्ला कर कह राह है की भारत को स्वयं के जय चंदों से ही खतरा है. अत कॉलेज प्रशासन ऐसा प्रयास करे की समाज विरोधी तत्व को जन्म लेने से पूर्व ही कुचल दिया जाए.

६. जनसाधारण मै जागृति पैदा करने एव सहायता हेतु धन संग्रह के लिए “चैरिटी शो” का आयोजन करना श्याद वांछित होगा.

७. विद्यालय स्तर पर “ राष्ट्रयी रक्षा समिति” बनाई जाये जो विधालय के विधार्थीयो का मार्ग दर्शन करे.अगर उचित समझा जाए तो ऐसा कार्यक्रम बनाये जिसके अन्तेरगत प्रत्येक रविवार को छात्र अपने ग्रुप्स के साथ नगर के विभिन भागो एव गाँव मैं जा कर वर्तमान संकट की गंभीरता को .

समझाए की राष्ठ्रयिता हेतु वे अविलम्ब भारतयी सेना मै भर्ती हो जाये.

८. इस संकट के समय हमारे विधा लय की छात्राओ का दायित्व छात्रों से अधिक है. प्रत्येक छात्रा से अपील की जाये की वे महिला समाज का मार्ग दर्शन कर भारतीय वीरांगनाओ मै राष्ट्रीयता का संचार करे,तथा उन्हें बताये की उनके आभूषण का आज कितना महत्व बड गया है, प्रत्येक भारतीय ललना का यह पुनीत कर्तव्य है की वे आभूषण के झूठे मोह को छौड कर यथा शक्ति आभूषण का दान करे. एव अतेरिक्थ समय मै जवानों के लिए ऊनी स्वेटर बुन कर ऊने भेजे .

९. . अगर प्प्ररशासन ऐसा प्रबंध कर सके की विद्यालय के छात्र निधि फंड से राष्ट्रीय रक्षा बांड एव नेशनल सेविंग्स सर्टिफ़िकेट खरीदे जाये तो अतुयतम रहगा .

१०. आज की सभा मै एक प्रस्ताव पास कर इस प्रस्ताव की प्रतिलिपि मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री को भेजी जाये. इस प्रस्ताव के अंतर्गत हम सभी छात्र एव प्राध्यापक प्रतिज्ञा करे की हम सब राष्ट्र रक्षा हेतु अपना तन, मन, धन देने को को उत्सुक है और देश हम से जो भी बलिदान माँगेगा वो मै देने को तैयार हू.

मुझे आशा ही नहीं किंतु पूर्ण विश्वास है की आप मेरे सुझावों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर उचित कदम उठाएंगे.

ट्रूटीयो के लिए शमाप्रथी,

आपका आज्ञाकारी शिश्य,

जुगल किशोर गर्ग

B.S (Final)

प्रति लिपि——–मुख्य मंत्री, राजस्थान, जयपुर.

मुझे मुख्य मंत्री, राजस्थान, जयपुर से इस का उत्तर भी प्राप्त हुआ था, मूल(orignal) पत्र मेरे पास मै उपलब्ध है.

मुझे मुख्य मंत्री, राजस्थान, जयपुर से इस का उत्तर भी प्राप्त हुआ था, इस की कॉपी निम्न है——

राजस्थान सरकार

मुख्य मंत्री कार्यालय

श्री जुगल किशोर गर्ग

C/O गणेश दास अमरचंद,

लक्ष्मी मार्केट,Beawar.

संख्या102/cm/dowp/12 जयपुर दिनांक 3/11/ १९६२.

प्रिय महोदय,

आपका पत्र दिनांक २४-१०-६२ मुख्य मंत्रीजी को प्राप्त हो गया है. आदेशानुशार निवेदन है की देश प्रेम की जिन पवित्र भावनाओ से प्रेरित होकर आपने पत्र लिखा है मुख्य मंत्रीजी उनकी सराहना करते है. आवश्यकता पड़ने पर आपके सहयोग को प्राप्त किया जायेगा .इस समय आप अपने कर्तव्य का अधिक सतर्कता के साथ पालन कर तथा अपने आस पास पड़ोस मै सुरक्षा , धेर्य एव साहस का वातावरण फेलाकर राष्ट्रयी सुरक्षा के महान कार्य मै योगदान दे सकते है.

भवदीय

S/D——————-

सहा. सचिव, मुख्यमंत्री

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