*इकतारा*

नटवर विद्यार्थी
नदी किनारे बहकर आए ,
गोल -गोल दो पत्थर ।
एक बना मन्दिर में मूरत ,
एक पड़ा बेचारा ।
तुन-तुन बोल रहा इकतारा….।

एक कुए का मीठा पानी ,
एक कुए का खारा ।
दोनों बिल्कुल पास- पास है ,
इक मीठा , इक खारा ।
तुन-तुन बोल रहा इकतारा….।

कौआ बिल्कुल काला होता ,
कोयल भी है काली ।
मीठे बोल बोलने वाला ,
लगता सबको प्यारा ।
तुन-तुन बोल रहा इकतारा….।

एक बाप के दो-दो बेटे ,
दोनों घर से न्यारे ।
रहे अकेला बूढ़ा बापू ,
कोई नहीं सहारा ।
तुन-तुन बोल रहा इकतारा….।

– *नटवर पारीक*, डीडवाना

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