रिफाईनरी की आस : समृद्घि और समग्र विकास

-लोकपाल सेठी-
जयपुर/जब से राज्य के बाड़मेर क्षेत्र में कच्चा तेल मिला है तभी से यह बात कही जाने लगी थी कि राजस्थान में जल्दी ही रिफानरी की स्थापना होगी। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयास अब सफल होते नजर आते है। रिफानरी लगने के प्रस्ताव अब अंतिम चरण में पहुंच चुके है तथा इस बारे में औपचारिक निर्णय की घोषणा अगले कुछ समय में कभी भी हो सकती है।
राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राजस्थान स्टेट रिफाइनरी नाम की एक पृथक कंपनी का गठन किया है जो ओएनजीसी तथा एचपीसीएल के साथ मिलकर इस रिफाइनरी की स्थापना करेगी। अब यह तय किया जा रहा है कि इस रिफाइनरी की क्षमता कितनी होगी। केयर्न एजर्नी कंपनी का वेदांता समूह द्वारा अधिग्रहण करने के बाद इस नई कंपनी ने भी प्रस्तावित रिफाइनरी लगाने में दिलचस्पी दिखाना आरम्भ कर दिया है।
यद्यपि अभी यहां रिफाइनरी नहीं लगी है लेकिन इसके बावजूद बाड़मेर क्षेत्र, जो कुछ वर्ष पूर्व तक राज्य का सबसे पिछड़ा इलाका था, में औद्योगिक गतिविधियां तेज हो गई है। कच्चे तेल के उत्पादन से जुड़े कई उप उद्योग भी लगने लग गए हैं यही कारण है कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत इस बात को बड़े विश्वास के साथ कहते है कि राज्य का यह क्षेत्र अगले कुछ वर्षों में सबसे बड़ा औद्योगिक हब बन जाएगा। आज से कुछ वर्ष पूर्व तक बाड़मेर शहर में एक अच्छे होटल के नाम पर कुछ भी नहीं था आज यहां एक दर्जन से भी अधिक होटल बन गए हैं जिनमें से कई उच्च स्तर के हैं। इस तेल उद्योग से जुड़े लोग यहां अपार संभावनाओं को देखते हुए अभी से यहां के लिए अपनी योजनाएं बना रहे हैं ।
चूंकि कच्चे तेल के साथ-साथ यहां गैस के भी अपार भण्डार मिले है इसलिए गैस ऑथोरिटी आफ इंडिया ने भी यहां अपनी गतिविधियां आरम्भ कर दी है।
रिफाइनरी लगाने की दिशा में राज्य सरकार ने यहां भूमि अधिग्रहण का काम आरम्भ कर दिया है। इस संदर्भ में अधिसूचना इस साल के मध्य में कर दी गई थी तथा कुल मिलाकर लगभग 6 हजार बीघा भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है। राज्य सरकार, ओएनजीसी तथा रिफाइनरी लगाने वाली एचपीसीएल के बीच में सभी बिन्दुओं पर सहमति बन चुकी हैं। सरकारी क्षेत्र की इन कंपनियों ने जो सुविधाएं और रियायतें राज्य सरकार से मांगी थी वह सब दे दी गई हैं। हालांकि सरकार की इच्छा है कि रिफाइनरी निर्माण का काम जल्दी से जल्दी शुरू हो जाए। लेकिन अभी भी कुछ औपचारिकताएं पूरी होना बाकी है फिर भी इस बात की प्रबल संभावना है कि अगले वर्ष तक लगभग निश्चित रूप से रिफाइनरी स्थापना का काम आरम्भ हो जाएगा जो इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
केयर्न एजर्नी इस समय प्रति दिन 1.75 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रही है। कंपनी ने सरकार के पास इस उत्पादन को 3 लाख बैरल प्रतिदिन करने का प्रस्ताव रखा है। चूंकि इस परियोजना में ओएनजीसी की भी भागीदारी है इसलिए उसकी सहमति से ही इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा सकेगा। अभी जो कच्चा तेल यहां से निकाला जा रहा है वह देश के कुल कच्चे तेल के उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत है। उत्पादन क्षमता बढ़ जाने से यह लगभग 30 प्रतिशत हो जाएगा। चूंकि अभी यहां रिफाइनरी नहीं लगी है इसलिए सरकार को कच्चे तेल के उत्पादन पर रॉयल्टी मिल रही है। मोटे तौर पर सरकार को प्रतिदिन 15 करोड़़ रुपए रॉयल्टी के रूप में मिल रहे हंै।
राज्य के बाड़मेर-सांचोर बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र भाग्यम् फील्ड से खनिज तेल का उत्पादन शुरू हो चुका है। खनिज तेल के उत्पादन से अब तक 8 हजार 347 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति राज्य सरकार को हुई है। इससे सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है तथा इसी के फलस्वरूप विकास योजनाओं का आकार लगातार बढ़ाया जा रहा है।
केयर्न एजर्नी ने इस क्षेत्र में 266 तेल कुओं की खुदाई की है इसके अलावा 25 तेल एवं गैस क्षेत्रों का पता लगाया है। प्रारम्भिक अनुमानों के अनुसार बाडमेर -सांचोर बेसिन में कच्चे तेल के भण्डारोंं का जो अनुमान लगाया गया था वह नई सर्वेक्षणों के अनुसार अब बहुत ज्यादा आंका जा रहा है। केयर्न एजर्नी के अलावा कई अन्य कंपनियां भी यहां तेल के कुओं की खुदाई कर रही है। नए अनुमानों के अनुसार यहां लगभग 480 मिलियन टन खनिज तेल के भण्डार तथा 3 हजार से लेकर 6 हजार बिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस के भण्डार हैं। एक अन्य अनुमान के अनुसार इस बेसिन में तेल के भण्डार 900 से लेकर एक हजार मिलियन टन है।
यद्यपि यहां तेल के उत्पादन का प्रथम चरण ही चल रहा है फिर भी कुल उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान असम और गुजरात से भी आगे निकल गया है।
राज्य के बीकानेर सहित पश्चिमी हिस्से में अन्य खनिजों के भण्डारोंं का भी आकलन किया जा रहा हैं। राज्य के कोल बेड मिथेन के रूप में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के विकास हेतु विभाग द्वारा किये गये विस्तृत प्रस्तुतीकरण के उपरांत महानिदेशक हाइड्रोकार्बन, तेल उद्योग विकास बोर्ड तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को बीकानेर में कोल बेड मिथेन अनुसंधान हेतु रुपए 3.72 करोड़़ के अनुदान हेतु अनुमोदन किया गया, जिसके अन्तर्गत पूर्व में किये गये 116.11 लाईन किमी. उच्च आवृत भूकम्पीय सर्वे में प्राप्त लिग्नाईट रिफलेक्टर को प्रमाणित कर लगभग 11 हजार वर्ग किमी. क्षेत्र को कोल बेड मिथेन अनुसंधान हेतु चिन्हित कर 4 कोलहोल की खुदाई की जाएगी। इसके पश्चात पेट्रोलियम निदेशालय द्वारा चिन्हित क्षेत्र में लगभग 15 ब्लॉक्स आगामी सीबीएम बीडींग में सम्मिलित करने हेतु तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अग्रेषित किए जाने की योजना है।
राज्य के खनिज सम्पदा के बेहतर प्रबंधन के साथ इसका दोहन करने के लिए सरकार ने जनवरी 2011 में नई खनन नीति की घोषणा की थी।
इसके अन्र्तगत लाइमस्टोन, लिग्नाईट, बेसमेंटल तथा नोबल मेंटल की खोज हेतु परियोजनाओं पर कार्य करने का निर्णय लिया गया तथा माह अप्रेल,2009 से मार्च, 2010 तक बेसमेटल्स की 8, नोबल मेटल्स की 4, लाईमस्टोन की 11 एवं लिग्नाईट की 3 परियोजनाओं पर खनिज सर्वेक्षण एवं पूर्वेक्षण का कार्य किया गया। वर्ष 2010-11 में खनिज बेसमेटल्स, नोबलमेटल्स, लाईमस्टोन एवं लिग्नाईट की 23 परियोजनाएं तथा वर्ष 2011-12 में 21 परियोजनाएं रखी गई हैं। वर्ष 2012-13 में 8 लाईमस्टोन की, 3 लिग्नाईट की एवं 1 बेसमेटल की परियोजनाएं पूर्वेक्षण हेतु रखी गई है। नीति के अन्र्तगत संगमरमर खान धारकों को रियायत देने की दृष्टि से मार्बल स्लरी ओर पाउण्डर को रॉयल्टी जो 60 प्रति टन थी, से मुक्त किया जा चुका है।
बजट घोषणा वर्ष 2012-13 के क्रम में राज्य में उपलब्ध खनिज सम्पदा के दोहन व मूल्य संवर्धन आधारित उद्योगों की स्थापना अन्र्तगत 12 वृहद् सीमेंट प्लांट की स्थापना हेतु खान आवंटन करने की कार्यवाही चल रही है। लिग्नाईट आधारित पावर प्लांट की 10 यूनिट स्थापित हो चुकी हैं तथा 5 यूनिट का कार्य प्रगति पर है। स्टील प्लांट लगाने हेतु स्टील ऑथरिटी आफ इण्डिया लिमिटेड एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को खान आवंटन हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किये जा चुके हंै।
करौली जिले में निजी क्षेत्र के स्टील प्लांट की स्थापना की जाएगी। करौली जिले में खनिज आयरन के 4 खनन पट्टे सुपरस्मेलटर लिमिटेड को दिये जाने का निर्णय लिया गया है। जिस पर कंपनी ने खनन पट्टा चाहने हेतु आवेदन प्रस्तुत कर दिया है।
दिसम्बर, 2008 से अब तक 8347 करोड़़ रुपए का खनिज राजस्व प्राप्त किया गया तथा अवैध खनन एवं निर्गमन की चैकिंग से 2212.12 लाख रुपए की वसूली की गई। इस अवधि के दौरान तीन लाख से अधिक लंबित खनन पट्टा आवेदन पत्रों का निस्तारण किया।
राज्य में खनिज खोज के अन्र्तगत 21986 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रीय खनिज सर्वेक्षण, 2005 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रीय भूगॢभक मानचित्रण, 318.21 वर्ग किलोमीटर विस्तृत भूगॢभक मानचित्रण तथा 19299 मीटर कोर छिद्रण का कार्य किया गया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली पर्वत श्रंृखला में अवैध खनन एवं प्रदूषण को लेकर लगातार चिन्ता प्रकट की जा रही है तथा राज्य में खनिजों का अवैध खनन तथा परिवहन रोकने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर इलेक्ट्रिोनिक सर्वेलेंस उपकरण लगाये जाएंगे। सभी अधीनस्थ कार्यालयों को प्रदूषण रोकने के नियमों को पूर्णतया लागू करने हेतु पाबन्द किया जा चुका है।
अवैध खनन को रोकने के लिए कानून में आवश्यक संशोधन करते हुए अवैध खनन एवं परिवहन में काम आने वाले उपकरणों एवं वाहनों को जब्त किया जा रहा है। अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण रखते हुए वैध खनन को योजनाबद्घ तरीके से बढ़ावा दिया जाएगा ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार देना सुनिश्चित किया जा सके तथा एमएमडीआर एक्ट 1957 की धारा 23 सी के तहत प्रकाशित नियमावली को लागू किया गया है। राज्य में उपलब्ध खनिज संपदा के दोहन व मूल्य संवर्धन आधारित उद्योगों की स्थापना पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिससे कि रोजगार के अधिकाधिक अवसर उत्पन्न हो सकेंगे।
राज्य में लिग्नाईट आधारित पावर प्लांट की 9 यूनिट स्थापित हो चुकी है जो निम्न प्रकार है- जिनमें बाड़मेर की कपूरड़ी, गिराल तथा बीकानेर की बसिंगसर तथा गुढा इकाइयां शामिल हैं। बाड़मेर के जालीपा तथा बीकानेर की देशनोक एवं हाडला में यूनिटों का काम तेजी से चल रहा है। कुल मिलाकर 12 सीमेंट प्लांट की स्थापना हेतु खान आवंटन करने की कार्यवाही चल रही है। इनमें से छह प्लान्ट जैसलमेर में, नागौर में चार तथा चित्तौडग़ढ़ में दो प्लांट स्थापित किए जाएंगे।
इसी प्रकार स्टील प्लांट लगाने हेतु स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को खान आवंटन हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किये जा चुके है तथा भारत सरकार से अनुमति जल्दी ही मिलने की संभावना है। उत्तर भारत में निजी क्षेत्र में स्टील उत्पादन का यह सबसे बड़ा प्लांट होगा।

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