क्या होता है मारकेश?

कहीं मारकेश के कारण आप मृत्यु के निकट तो नहीं ? जानिए कारण और निवारण…

राजेन्द्र गुप्ता
बोलचाल की भाषा में कहते हैं कि जब मृत्यु आती है तो उसे कोई नहीं रोक सकता कुछ लोग लंबी आयु के बाद तो कुछ लोग अल्प आयु में ही मृत्यु का शिकार होते हैं। कुछ लोग पूरी जिंदगी डर डर के जीते हैं कि मृत्यु नहीं आ जाए आप लाख जतन करते हैं, सुरक्षा के सारे नियम भी फॉलो करते हैं लेकिन बावजूद इसके आप दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग ज्योतिष शास्त्र को नहीं मानते उन्हें बताना चाहता हूं कि ग्रहों के असंतुलन के कारण यदि कुंडली में मारकेश बनता है तो निश्चित तौर पर अल्प आयु में मृत्यु होती है। आइए जानते हैं आपकी कुंडली में कौन से दोष के कारण ऐसा होता है?

जन्म कुंडली में क्या होता है मारकेश, मारकेश से बचने के लिए उपाय जरूरी हैं, अशुभ योग क्यों होता है मारकेश, किसकी दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं, दुर्घटनाओं में नुकसान किसका होता है, किसकी आयु पर संकट आ जाता है ?

लग्न और मारकेश
=============
▪मेष : मेष लग्न में स्थित शुक्र दूसरे एवं सातवे घर का मालिक है , किन्तु फिर भी जातक के जीवन को समाप्त नहीं करता है, यह गंभीर व्याधियों को जनम दे सकता है । मेष लगन में शनि दसवे और ग्याहरवे भाव का अधिपति होकर भी अपनी दशा में मृत्यु तुल्य कष्ट देगा।

▪वृष -वृष लग्न में स्थित मंगल सातवे एवं बाहरवें भाव का मालिक होता है, जबकि बुध दूसरे व् पांचवे भाव का अधिपति होता है। वृष लग्न में शुक्र , गुरु व् चंद्र मारक गृह होते है।

▪मिथुन – मिथुन लग्न में गुरु व् सूर्य मारक गृह बन जाते है।

▪कर्क – कर्क लग्न में शनि सातवे भाव का मालिक होकर भी कर्क के लिए कष्टकारी नहीं होता है। सूर्य भी दूसरे भाव का स्वामी होकर जीवन समाप्त नहीं कर सकता लेकिन कर्क लग्न में शुक्र मारकेश होता है।

▪सिंह – सिंह लग्न में स्थित शनि सप्तमाधपति होकर भी मारकेश नहीं होता। जबकि बुध दूसरे एंव ग्याहरवे भाव का अधिपति होकर जीवन समाप्त करने की क्षमता रखता है।

▪कन्या -यदि द्वितीयेश शुक्र, सप्तमाधिपति गृह तथा एकादश भाव का स्वामी हो तो मारकेश बनता है पर इन तीनो में कोन सा गृह मृत्यु दे सकता है इसका सूक्ष्म विश्लेषण करना होगा।

▪तुला – तुला लग्न में स्थित दूसरे और सातवे भाव का स्वामी मंगल मारकेश नहीं होता परन्तु कष्टकारी पीड़ा जरूर देता है। इस लग्न में शुक्र और गुरु अगर पीड़ित हो तो मारकेश बन जाते है।

▪वृश्चिक- वृश्चिक लग्न में यहां स्थित गुरु दूसरे भाव का मालिक होकर भी मारकेश नहीं होता है। यदि बुध निर्बल,अष्टम,द्वादश या तृतीये भाव मैं होकर पाप ग्रहो से युक्त हो जाये तो मारकेश का रूप ले लेगा।

▪धनु – इस लग्न में शुक्र निर्बल एवं क्रूर ग्रहो के साथ स्थित हो तो वह मारकेश अवशय बनेगा।

▪मकर- इस लग्न में मंगल एंव गुरु यदि पापी या अशुभ स्थिति में हो तो मारकेश का फल देंगे।

▪कुम्भ- इस लग्न में यहाँ स्थित गुरु द्वितीयेश होकर मारकेश है, किन्तु शनि द्वादश होकर भी मारकेश नहीं है।मंगल या चंद्र भी यदि पीड़ित है तो मृत्यु तुल्य कष्ट दे सकते है।

▪मीन- इस लग्न में मंगल द्वितीयेश होकर भी मारकेश नहीं होता। मीन लग्न में शनि और बुध दोनो मारकेश सिद्ध होता है।

मारकेश से बचने के उपाय-
==================
मारकेश के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सरल और आसान तरीका है, कि कुंडली के सप्तम भाव में यदि पुरुष राशि हो तो शिव की तथा स्त्री हों तो शक्ति की आराधना करें। सम्बंधित ग्रह का चौगुना मंत्र, महामृत्युंजय जाप, एवं रुद्राभिषेक करना इस दशा शांति के सरल उपाय हैं। इसके अतिरिक्त जो भी ग्रह मारकेश हो उसी का कवच पाठ करें।
▪ प्रतिदिन रामरक्षास्तोत्रम्, देवी कवच, गायत्री मंत्र की पांच माला प्रतिदिन करने से लाभ होता है।

▪ नवग्रह की पूजा तांत्रिक अनुष्ठान से करने से भी बहुत लाभ होता है।

▪ मारकेश की दशा में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र एवं दशांश हवन करने से बड़ी से बड़ी विपदा टल जाती है।

▪ घायल एवं पीड़ित तथा दीन दुखियों की सेवा करने से मारकेश का असर खत्म हो जाता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

error: Content is protected !!