राष्ट्र रत्न महान महाराणा प्रताप के वफादार सिपासालार Part 2

दानवीर भामाशाह का त्याग

j k garg
युद्धभूमि पर उपस्थित बाईस हज़ार राजपूत सैनिकों में से केवल आठ हज़ार जीवित सैनिक युद्धभूमि से किसी प्रकार बचकर निकल पाये। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये किन्तु वो सफल नहीं हो सका। निरंतर सघर्ष के कारण महाराणा की आर्थिक हालत दिन-प्रतिदिन कमजोर होती गई एवं एक बार तो वो विचलित भी हो गये |विपत्तियों के इन क्षणों में भामाशाह ने अपने जीवन की सारी कमाई को राणाप्रताप को अर्पित कर मेवाड़ की रक्षा हेतु लड़ाई चालू रखने का निवेदन किया | भामाशाह की यह आर्थिक सहायता लगभग 25000 राजपूतों की सेना के 12 साल तक का वेतन और निर्वाह के लिए पर्याप्त थी|अपनी दानशीलता के लिए भामाशाह भी इतिहास पुरुष बने इसीलिये आज भी कई राज्यों में उनके नाम से जन कल्याणकारी योजनायें चला रहें हैं|

संकलनकर्ता डा. जे. के गर्ग

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