जीवन बदलाव

दिनेश गर्ग
सूर्य का उदय और अस्त होना दोनो ही महत्वपूर्ण है, जरूरत है बस नजरिये को बदलने की। किए जाने वाले बदलाव से होने वाले परिणामो का डर मन में संकोच लाता है और हम सभी बदलाव लाने के लिए अपने आपको तैयार नहीं कर पाते। पारिवारिक जिदंगी हो या फिर अपने व्यवसाय व पेशे संबंधी निर्णय हो। बुजुर्ग पीढ़ी जहां बदलाव के लिए अपने आपको तैयार नहीं करना चाहती वही नौजवां पीढ़ी बदलते समय के साथ जल्द बदलाव की चाहत रखती है। बदलाव की नींव ही अधिकांश परिवारो के विखंडन का कारण बनती है। ऐसे में दोनो का दायित्व है कि वे दोनो भावनात्मक रूप से ऊपर उठकर परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय ले। बुजुर्गो का जहां अनुभव श्रेष्ठ है वही नौजवां पीढ़ी का आत्मविश्वास भी महत्व रखता है। समय तेजी से बदल रहा है। अर्थ का महत्व बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में नौजवां पीढ़ी अर्थ उपार्जन में त्वरित निर्णय लेने में विश्वास करती है। स्वाभाविक भी है सामाजिक व्यवस्था व प्रतिष्ठा का ताना बाना इतना अधिक विस्तृत हो गया है कि अपने को कम में संतुष्ट रख पाना असाध्य हो चुका है या यूं कहे बीते समय की बात होता जा रहा है। व्यवसाय व पेशे में स्त्रियो का बढ़ता योगदान समय की आवश्यकता बन गया है ऐसे में पुरूष स्त्री में सामंजस्यता बैठाने में बुजुर्ग पीढ़ी को असहजता महसूस होती है जिसके चलते परिवारो में ना चाहकर भी एक खिचावं सा बढऩे लगा है। ऐसी स्थिति से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि बुजुर्ग अवस्था को प्राप्त हो रही पीढ़ी को समय रहते अपने दायित्व व कर्तव्यों को नव पीढ़ी को सौंप देना चाहिए वहीं आने वाली पीढ़ी को भी अपने वृद्धजनो के प्रति पूर्ण सम्मान रखने हेतु उनकी दी गई जिम्मेदारी को परिवार हितो को प्रथम ध्यान रखते हुए प्रतिष्ठा के साथ निभाना चाहिए। नौजवां पीढ़ी के लिए अपने लिए, अपने आने वाली पीढ़ी व जाने वाली पीढ़ी के बीच सामंजस्यता बैठाने का लक्ष्य तनाव भरा है, त्याग व धैर्य ही समस्त परेशानियों का एक मात्र हल हो सकता है। बुजुर्ग पीढ़ी को स्मरण रखना होगा कि उनके पास समय कम है वहीं नौजवां पीढ़ी को हमेशा स्मरण रखना होगा कि एक दिन वे भी अतीत हो जाएंगे।

DINESH K.GARG ( POSITIVITY ENVOYER) AJMER
dineshkgarg.blogspot.com

error: Content is protected !!