*सेवा चयन में साक्षात्कार की उपयोगिता*

आजकल बहुत से लोग सेवा चयन में साक्षात्कार की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं और कभी-कभार साक्षात्कार को चयन प्रक्रिया का भाग नहीं बनाने की मुहीम छेड़ देते हैं। ऐसे लोग अक्सर यह कहते हैं कि साक्षात्कार में भेदभाव किया जाता है और साक्षात्कार के कारण ऐसे लोग चयनित हो जाते हैं, जिनके लिखित परीक्षा में कम अंक आए हैं। ऐसे लोग चाहते हैं कि साक्षात्कार में उम्मीदवार को लिखित परीक्षा के अनुरूप ही अंक दिए जाए। ऐसी मांग साक्षात्कार के महत्त्व को कम करती है और लिखित परीक्षा को एकमात्र उम्मीदवार को परखने के साधन की वकालत करती है। पर ऐसे लोग भूल जाते हैं कि लिखित परीक्षा में भी कुछ लोग अनुचित तरीकों का उपयोग कर अधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं।

किसी भी चयन में साक्षात्कार की महत्ता को कम करके नहीं देखा जाना चाहिए। हम अपने घरों में काम करने के लिए सहायक या सहायिका चुनते हैं तो उन्हें भी काम पर रखने से पहले उनसे व्यक्तिगत मिलना चाहते हैं। मुझे याद है कि कई साल पहले मैंने नीदरलैंड की एक प्रत्यायन संस्था (Accreditation Body) को अपना आवेदन भेजा था और उन्होंने चयन से पहले मेरा टेलीफोन इंटरव्यू लिया और बहुत सी बातें पूछी। संतुष्ट होने के बाद ही उन्होंने मुझे कार्य (असाइनमेंट) दिया था।

हमें समझना चाहिए कि साक्षात्कार क्या है और इसकी चयन में क्या उपयोगिता है। साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण चयन तकनीक है। इस तकनीक के अंतर्गत दो-तरफ़ा सम्प्रेषण होता है। साक्षात्कार के माध्यम से उम्मीदवारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है और यह भी निर्धारित किया जा सकता है कि वे उस पद के लिए उपयुक्त हैं, जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया है।

साक्षात्कार दोतरफा बातचीत (सम्प्रेषण) है। यह नियोजक (नियोजक संस्था) के प्रतिनिधियों (साक्षात्कार लेने वालों) को उम्मीदवार के बारे में बहुत सी बातें जानने का अवसर देता है। बहुत सी बातों, जैसे – व्यक्ति का व्यवहार, व्यक्तित्व, बोलने की सम्प्रेषण योग्यता आदि, की जानकारी केवल लिखित परीक्षा से नहीं लग सकती। विशेषकर ऐसे पदों पर इनका बहुत महत्त्व है जब साक्षात्कार ऐसे पदों के लिए लिया जाए जो जनसेवा से सम्बंधित होते हैं। वैसे भी नियोजक साक्षात्कार लेने का दायित्व एक व्यक्ति पर न डालकर एक से अधिक व्यक्तियों के पैनल को सौपते हैं ताकि भेदभाव आदि से बचा जा सके। साक्षात्कार निश्चित ही एक लाभदायक प्रक्रिया है। साक्षात्कार के माध्यम से जहाँ आवेदक को नियोजक के बारे में पता चलता है, वहीं साक्षात्कार पैनल यह तय कर पाता है कि आवेदक पद के लिए उपयुक्त है। साक्षात्कार आम तौर पर परिभाषित तरीके से पूछे जाने वाले पूर्व संरचित प्रश्नों पर आधारित होता है।

हालाँकि बहुत से पदों की चयन प्रक्रिया से साक्षात्कार को हटा दिया गया है पर इस लेखक का मानना है कि सभी सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार खत्म नहीं करना चाहिए, क्योंकि प्रशासनिक निर्णय लेने वाली नौकरियों में व्यक्तित्व का परीक्षण बहुत आवश्यक है।

– केशव राम सिंघल

(लेखक राष्ट्रीयकृत बैंक का एक पूर्व अधिकारी है और करीब पाँच वर्षों तक राष्ट्रीयकृत बैंक के जोनल ऑफिस के कार्मिक विभाग (Personnel Department) में काम किया है। साथ ही वह नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पर्सोनेल मैनेजमेंट (National Institute of Personnel Management) के कॉर्पोरेट सदस्य (Corporate Member) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (Indian Institute of Public Administration) का आजीवन सदस्य (Life Member) है।)

लेखक की प्रोफाइल http://profile-keshavramsinghal.blogspot.com/ पर देखें।

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