जब राजीव ने भारत में कम्प्युटर क्रांति का सूत्रपात किया था तब तत्कालीन विपक्षी पार्टी एवं वर्तमान शासक दल के नेताओं उनका मखोल उड़ाया और उन्हें नोसिखिया कहा | 80 के शतक के युवा सम्राट राजीव गांधी ने सही कहा था कि “ कोइ भी साम्प्रदायिक अथवा धार्मिक संस्था जो धर्म निरपेक्षता का विरोध करती हो, या कोइ भी राजनीतिक ताकत जो साम्प्रदायिक या धार्मिक हितों का आसरा लेती, उसे किसी भी सूरत मै राष्ट्र को कमजोर बनाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए” | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या हमें वैसा करना है |
राजीव शालीनता की प्रतिमूर्ति थे उन्होंने कभी भी अपने किसी भी राजनेतिक विरोधिके प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | राजीव के राजनेतिक विरोधी श्री अटलबिहारी वाजपेयीजी ने कहा था कि अगर वे आज जिन्दा है तो इसकी वजह राजीव ही है | लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्होंजने अपने प्रधानमंत्री के अल्प कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। राजीव ने राजनीती में भी नेतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया, बोफोर्स कांड के आरोपों के बीच संसद भंग कर नये चुनाव करवाने का जज्बा उन्हीं में था |
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