सूफी फकीर की डायरी (दो )

शिव शर्मा
रूह में फना हो जाना ही सूफी होना है!
वह बाहर से नहीं अंदर से सूफ़ी होता है! शरीर से नहीं जीवात्मा से सूफ़ी होता है! उसका रूहानी वजूद सातों मंडल तक फैला हुआ रहता है ( फिजिकल बॉडी से बॉडी लैस बॉडी तक )! खुद मेरे गुरुदेव ने आश्रम में किसी को भनक तक नहीं लगने दी कि वह कौन से रूहानी मंडल में स्थिर थे!
किसी में फना हो जाने के रूहानी स्वभाव को सूफी कहते हैं! कपड़े कोई से भी हो, धर्म कोई सा भी हो, जाती कोई सी भी हो! स्वभाव रूहानी होना चाहिए!
वारिस शाह के पास एक आदमी गया और बोला कि मुझे किसी sufi से मिला दो! शाह बोला की सूफ़ी दिखता नहीं है,वह तो होता है! जो किसी में फना रहता है वह दिखेगा कैसे! सूफी के वजूद से सुगंध आती है, प्रकाश फूटता है! उसकी अनुभूति रूह में होती है,वह आंखों से नहीं दिखता है! तू किसी में फना हो जा : तू भी सूफ़ी हो जाएगा! तू किसी के प्रेम में,किसी की इबादत में या किसी की सेवा में फना हो जा! अपने ही अंदर सूफी को देख लेना!
उसने पूछा कि आप क्या है! वारिस ने जवाब दिया कि मैं हीर में फना हो रहा हूं! उसका सूफी तसव्वर मेरी इबादत है! हीर रांझा में फना हो गई थी! मैं हीर के जरिए खुदा में फना होना चाहता हूं! हीर कहती थी मुझे हीर मत कहो, मैं तो रांझा हूं! वह खुद के स्त्री होने को भूल गई! अपने वजूद को भूल गई! वह तो जीते जी रांझा हो गई! वह सूफ़ी थी ! उसने अपने कपड़ों पर सूफ़ी होने का बिल्ला नहीं लगाया! कहीं गोष्टी मैं सूफी की हैसियत से नहीं गई नहीं ! उसने अपने प्रेमी रांझा को खुदा समझा और उसी की रूह में फना हो गई! जुलेखा 20 वर्ष तक अपने प्रेमी यूसुफ को तलाश करती रही! जब वह मिला तो बोली मेरा इश्क तेरी रूह से है! मेरा इश्क तेरी इबादत है! मैं तेरे रूहानी वजूद में फना हूं! जुलेखा सूफी थी! तुम्हें यदि ऐसा कोई सूफी मिले तो मुझे भी बताना!
हम लोग तो सूफ़ी होने का तमाशा करते हैं! किसी महफिल में बैठ गए और खुद को सूफ़ी मान लिया! दरगाह में आने जाने लगे और स्वयं को सूफ़ी समझ लिया! हम अपनी ही रूह के स्तर तक तो कभी पहुंचे ही नहीं! जीभ से ही नाम जपते हैं, जीभ से ही गाली देते हैं,जीभ से ही नशा करते हैं , और जीव से ही दूसरों की बुराई करते हैं! हमें तो सूफी जैसा रूहानी शब्द बोलने का अधिकार भी नहीं है!
जो कोई अंदर से सूफ़ी हो गया वह जरूर भाग्यशाली है! खुद ही को मिटा देने का दम को तो सूफी होने की बात करो!

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