आईये जाने भोलेनाथ शिवजी की पूजा-अर्चना में बेलपत्र और जल क्यों चढ़ाया जाता है ?
dr. j k gargनिसंदेह बेलपत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है और इसलिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए बिना शिव की पूजा को पूर्ण नहीं माना जाती है | बेलपत्र में तीन पत्तियां हैं जिसको लेकर कई तरह की धारणाएं विध्यमान हैं | बेलपत्र में तीन पत्तियां को त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) माना गया है तो कहीं सत्व, रज और तम गुण का परियाचक माना जाता है | ध्यान देने योग्य बात है कि कहीं बेलपत्र में तीन पतियों को तीन आदि ध्वनियां जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है का प्रतीक माना गया है | बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव त्रिनेत्र और भोलेनाथ के हथियार त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है | शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुयी है | समुद्र मंथन के समय जब विष निकला तो भगवान महादेव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को पी कर अपने कंठ में धारण कर लिया जिसके के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गर्म हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लग | जानने लायक बात है कि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया था | बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित करने के पीछे रहस्य यह है कि बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई | शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही अर्पित करना चाहिये एवं बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना जरूरी है |