dr. j k gargदेवों के देव महादेव का वाहन नंदी बैल क्यों ?जहाँ बैल को खामोश एवं उत्तम चरित्र समर्पण भाव वालाबताया गया है, वहीं दुसरी तरफ बैल बल और शक्ति का भी प्रतीक है। बैल जबक्रोधित होता है तो सिंह से भी भिड़ लेता है। सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरि या और सिंधुघाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई गई संसार की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओंमें बैल को महत्व दिया गया है । निसंदेह भारत में भी बैल खेती के लिए हल में जोतेजाने वाला एक महत्वपूर्ण पशु रहा है। जिस तरह गायों में कामधेनु को श्रेष्ठ मानाजाता है उसी प्रकार बैलों में नंदी श्रेष्ठ है। यही सभी कारण रहे हैं जिसके कारणभगवान शिव ने बैल को अपना वाहन बनाया। पौराणिक कथा अनुसार शिलाद ऋषि ने शिव कीतपस्या के बाद नंदी को पुत्र रूप में पाया था। नंदी को उन्होंने वेद आदि समस्तग्रन्थों का ज्ञान प्रदान किया। एक दिन शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामके दो दिव्य संत पधारे और नंदी ने पिता की आज्ञा से उनकी खुब सेवा की जब वे जानेलगे तो उन्होंने ऋषि को तो लंबी उम्र और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद दिया लेकिन नंदीको नहीं। तब शिलाद ऋषि ने उनसे पूछा कि उन्होंने नंदी को आशीर्वाद क्यों नहीं दिया? तब संतों नेकहा कि नंदी अल्पायु है। यह सुनकर शिलाद ऋषि चिंतित हो गए। पिता की चिंता को नंदीने भांप कर पूछा क्या बात है तो पिता ने कहा कि तुम्हारी अल्पायु के बारे में संतकह गए हैं इसीलिए चिंतित हूं। यह सुनकर नंदी हंसने लगा और कहने लगा कि आपने मुझेभगवान शिव की कृपा से पाया है तो मेरी उम्र की रक्षा भी वहीं करेंगे आप क्यों नाहकचिंता करते हैं। इतना कहते ही नंदी भुवन नदी के किनारे शिव की तपस्या करने के लिएचले गए। कठोर तप के बाद शिवजी प्रकट हुए और कहा वरदान मांगों वत्स। तब नंदी के कहाकि मैं जिंदगी भर आपके ही सानिध्य में रहना चाहता हूं। नंदी के समर्पण से प्रसन्नहोकर भगवान शिव ने नंदी को पहले अपने गले लगाया और उन्हें बैल का चेहरा देकर उसकोअपने वाहन, अपना दोस्त, अपने गणों में सर्वोत्तम के रूप मेंस्वीकार कर लिया।