चुनावी लाभ के लिए लोकलुभावन घोषणाओं की बजाय नेकनीयत से ठोस कल्याणकारी कार्यों की जरूरत

*सरकारो को आम जनता तथा गरीबों के लिए जनकल्याणकारी , या दूसरे शब्दों में कहे तो वोटों के लिए गरीबों को पालने की चिंता है। सरकार गरीबों के लिए2 ₹ किलो अनाज उपलब्ध करवाती है।*
*लेकिन गरीब हो या अमीर , छोटे बच्चे या जवान या बुड्ढे ,सभी को पालने के लिए दूध की आवश्यकता अहम होती है ।और यह दूध उपलब्ध करवाने वाली गाय भैंस को पालने की चिंता सरकार को शायद नहीं है। क्यो कि गाय भैंस के वोट नहीं है। यही कारण है कि गरीबों के लिए जहां दो रुपए किलो अनाज उपलब्ध करवाया जा रहा है वही दुधारू पशुओं को पालने के लिए महंगी दरों पर 16 ₹ किलो चारा कुट्टी खरीद कर लानी पड़ रही है।*
*आगामी गर्मी दिनों में यह हालत और भी बदतर होने वाले हैं ।क्योंकि गर्मी में पशुओं के पीने के लिए पशु पालकों को पानी की व्यवस्था महंगे टैंकरों के माध्यम से करनी पड़ेगी । अभी से राजस्थान में कई जिलों में पशुपालकों के सामने गंभीर स्थिति पैदा हो गई है ।*

*कहने को तो गोवंश तथा गौशाला की मदद के लिए शराब पीने वालों पर अलग से टैक्स लगाकर धन जुटाया गया और 1250 करोड रूपए सरकार के खजाने में जमा हो गए। लेकिन गौवंश के लिए इस फंड में से मात्र 5 करोड़ रुपए ही सरकार खर्च कर पाई*।
*आगामी विधानसभा चुनाव की की तैयारियों के बीच सरकारी खजाने को लोक लुभावनी घोषणाओं में खर्चे कर वोटों में तब्दील करना चाहती है ।लेकिन याद रखना होगा कि राजस्थान की स्वाभिमानी जनता ने गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गत कार्यकाल में भी सरकार की लोक लुभावनी घोषणा को दरकिनार कर सत्ता परिवर्तन की परिपाटी कायम रखी।*

*सरकार यदि वास्तव में जरूरतमंद की मदद करना चाहती है तो उसे सरकारी खजाने को वोटों के लिए लुटाने के बजाए ठोस कल्याणकारी कार्यों की ओर ध्यान देना होगा ।आम जनता को पर्याप्त मात्रा में तथा शुद्ध पेयजल , बिजली , सड़के तथा चिकित्सा सेवाओं में सुधार की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। और इस दिशा में सरकार सही नीयत से क़दम बढ़ाती है । तो बेरोजगारी भी काफी हद तक स्वत ही कम होने लगेगी।*

*हीरालाल नाहर पत्रकार*
*9929686902*

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