आन, बान और शान की धरती है अजमेर

*नेता, शासन व प्रशासन सब बन गए गैर*
-बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जनप्रतिनिधियों, भाजपा व कांग्रेस के नेताओं, शासन व प्रशासन के नुमाइंदों की बेपरवाही, गौरवशाली शहर का स्थापना दिवस तक मनाने की नहीं सोची

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
*”चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण।*
*ता ऊपर सुल्तान है, मत चूके चौहान !*
जब मोहम्मद गौरी ने हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को छल से बंदी बना लिया था और उनकी दोनों आंखें फोड़ दी थीं, तब कुछ समय बाद पृथ्वीराज चौहान ने इन्हीं दो पंक्तियों के आधार पर बाण से गौरी पर निशाना साधा था। #गूगल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पृथ्वीराज चौहान के बाद चौहान वंश के तेईसवें शासक वीर योद्धा राजा अजयराज चौहान ने 27 मार्च, 1112 को गढ़ अजयमेरू की स्थापना की तथा इसे चौहान साम्राज्य की राजधानी बनाया। था।उसके बाद इस शहर का नाम धीरे-धीरे अजयमेरू से अजमेर हुआ।

प्रेम आनंदकर
#सन्दर्भ:पृथ्वीराज III ( आईएएसटी : पृथ्वी-राजा; शासन। 1178-1192  सीई ), जिन्हें पृथ्वीराज चौहान या राय पिथौरा के नाम से जाना जाता है, चाहमान (चौहान) वंश के राजा थे। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चाहमान क्षेत्र, सपदलक्ष पर शासन किया। उन्होंने राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित किया और पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्से पर राज किया। उनकी राजधानी अजयमेरु (अजमेर ) था।
*यह आन, बान और शान की धरती है। यह वीर योद्धा की धरती है। इसकी माटी के कण-कण में ललकार है, वीर है, तेज है, ओज है, करुणा है, दया है।* यह गंगा-जमुना तहजीब की जमीं है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द की नगरी है। सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी भी पूरे विश्व में केवल यहीं विराजमान हैं। तीर्थों के गुरु तीर्थराज पुष्कर यहां विराजे हुए हैं। यहां ख्वाजा गरीब नवाज शरीफ की दरगाह है, तो पवित्र जैन तीर्थ स्थल नारेली है। यहां ईद पर सिंवइयों की खुशबू है, तो दीपावली पर मिठाइयों और होली पर गुझिया की मिठास है। यहां होली व दीपावली पर शुभकामनाएं देते हैं, तो ईद पर मुबारकबाद भी। ऐसा है हमारा अजमेर। इस धरा की माटी को बारम्बार वंदन, अभिनंदन। लेकिन हाय रे अजमेर, ना जाने यहां के जनप्रतिनिधियों, भाजपा व कांग्रेस के नेताओं, अजमेर नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण के नुमाइंदों को सांप क्यों सूंघ गया। इन सबकी बदौलत अजमेर विकास की गति में काफी पिछड़ गया। और तो और अजमेर को लेकर बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले अजमेर के स्थापना दिवस पर आयोजन करने से भी कतराने लगे हैं। यही कारण है कि आज तक कभी भी किसी राजनीतिक दल या नगर निगम या अजमेर विकास प्राधिकरण की तरफ से स्थापना दिवस नहीं मनाया गया। बेशक, कुछ स्वयंसेवी और सामाजिक संस्थाओं ने दो-तीन आयोजन किए हैं। किंतु किसी समय राजस्थान ही नहीं, देश की राजधानी बनने के लिए प्रबल दावेदार रहा अजमेर अपने स्थापना दिवस का बड़ा जश्न नहीं मना पाता है। नेताओं को खोखले दावे करने और अफसरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कागज काले करने से ही फुर्सत नहीं है। हाय रे अजमेर, वाह रे तेरी किस्मत। फिर भी हम तो बोलेंगे, जय-जय अजमेर, जय-जय अजयमेरू, जय-जय राजस्थान, जय-जय भारत।

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