*आजादी का सही मतलब है*,
*जिम्मेदारियों का बढ़ जाना। हमारे कर्त्तव्य बढ़ जाना।* *विदेशी अंग्रेजो के देश छोड़कर जाने के बाद हमारी जिम्मेदारियां बढ़ गई है*।
*उनके रहते हुए गुलामी के दौर में हम अपने विकास और तरक्की के लिए स्वतंत्र नहीं थे। उनके द्वारा जोर-जबरदस्ती से थोपें गए उचित-अनुचित आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य थे।*
*उनके जाने के बाद हम अपने तथा अपने देश की तरक्की विकास के लिए गुलामी के बंधनों से आजाद हो गए हैं । देश का विकास, तरक्की,तथा शक्तिशाली और समृद्धशाली बनाने के लिए हमारी जिम्मेदारियां बढ़ गई है। हमारे कर्त्तव्य बढ़ गए हैं।*
*आजादी का मतलब उच्छखलता,उदंण्डता नहीं है।*
*आजादी का मतलब है, हम हमारे खुद के द्वारा बनाए गए, अनुशासन नियम, कानूनों का पालन करे*।
*आजादी का उपयोग स्वयं की तथा देश की तरक्की और विकास के लिए करे।*
*आजादी का मतलब स्वच्छंदता उच्छखलता नहीं है*।
*आजादी का मतलब यह भी नहीं है कि, हम अपनी आजादी का दुरुपयोग करते हुए अन्य नागरिक के अधिकारों, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाएं।*
*किसी व्यक्ति के बूढ़े माता-पिता का जब निधन हो जाता है तो उनके पुत्र आजाद नहीं होते हो जाते बल्कि घर परिवार समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियां पहले से अधिक बढ़ जाती है।*
*आसमान में उड़ती हुई पतंग तब तक ही ऊंचाइयों पर है है जब तक वह हैं डोरी से बंधी हुई है।*
*डोरी का मतलब गुलामी नहीं है बल्कि एक सीमा है जिसके भीतर उसको रहना है सीमाओं से बाहर निकलना या डोरी से टूट कर अलग होना पतंग के या किसी के भी पतन विनाश का मार्ग बन सकता है* ।
*इतिहास की ओर देखे तो लक्ष्मण रेखा यानि सीमा को पार करना केवल एक सीता माता के लिए ही नहीं बल्कि राम लक्ष्मण सहित अनेकों के लिए संकट उत्पन्न कर गया*।
*आजादी का सही मतलब है हम अपने खुद के बनाए हुए नियम अनुशासन में रहे। अपने कर्त्तव्यों का पालन करें।*
*आजादी का मतलब स्वच्छंदता उच्छखलता, उदंडता नहीं है। आजादी का मतलब यह भी नहीं है कि हम अपनी आजादी का दुरुपयोग करते हुए अन्य के अधिकारों संपत्तियों को नुकसान पहुंचाएं*
*आजादी की सार्थकता तब है जब हम अपनी आजादी का उपयोग अपने तथा देश के विकास तरक्की के लिए करते हुए किसी दूसरे के आजादी का हनन या बाधा नहीं बने। दूसरों की संपत्ति, खेत, भूमि, को जोर जबरदस्ती कब्जा का प्रयास नहीं करें।*
*अपनी सुविधाओं का समुचित उपयोग करें लेकिन दूसरों की सुविधाओं का भी ध्यान रखें। हमे संवेदनशील बनना होगा*।
*हमारी वजह से हमारे पड़ोसी को बेमतलब की कोई परेशानी नहीं हो। एक दूसरे के सुख दुख , भावनाओं का ख्याल रखकर ही हम देश को मजबूती के पथ पर ले जा सकते हैं । तथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को सुखी समृद्ध खुशहाल वातावरण दे सकते हैं।*
*आजादी के नाम पर अधिकारो की बात करने से पूर्व हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यदि इस देश के नागरिक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करने लगे तो फिर हमें अधिकार मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी*।
*आजादी के अमृत महोत्सव पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं*
*हीरालाल नाहर पत्रकार*
*9929686902*
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